राजस्थान में 30 साल से चला आ रहा ट्रेंड इस बार भी जारी रहा और सत्तारूढ़ कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 41.6 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 199 सीटों में से 115 सीटें जीती हैं, जबकि कांग्रेस को 39.5 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 69 सीटें मिली हैं. हालांकि इस बार के नतीजों से ऐसा लग रहा है जैसे सत्ता विरोधी लहर से ज्यादा स्थानीय विधायकों के खिलाफ लहर ने चुनाव परिणामों को प्रभावित किया है.
2018 और 2023 में हुए चुनाव के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपनी जीते हुए अधिकतर निर्वाचन क्षेत्रों को गंवा दिया. 2018 के चुनाव के बाद निर्दलीय 13 विधायकों के समर्थन को मिलाकर कांग्रेस के पास 113 सीटें थीं, लेकिन 2023 में पार्टी 63 सीटों पर बीजेपी से तो 8 पर अन्य से हार गई है. इसका मतलब है कि 2023 में कांग्रेस को 2018 में जीती गई सीटों में से 63% पर हार मिली है.
BJP को 2018 में जीती 73 में से 29 सीटों पर मिली हार
अब अगर आप भाजपा की जीती सीटों का अध्यन करेंगे तो यह फैक्ट और साफ हो जाएगा कि सत्ता विरोधी लहर से ज्यादा विधायकों के खिलाफ लहर ने कांग्रेस की लुटिया डुबो दी. बीजेपी ने 2018 के चुनाव में 73 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस बार चुनाव में इन 73 में से 29 (40%) सीटों पर उसे हार मिली है. 29 में से 25 पर कांग्रेस ने तो चार पर अन्य ने बीजेपी को हराया है.
बीजेपी ने कांग्रेस की करीब 55 प्रतिशत सीटें छीनीं
अब सवाल उठता है कि जब पिछले चुनाव लाली 29 सीटें बीजेपी ने गंवाई तो इतनी सीट कहां से आई. दरअसल, इस बार बीजेपी ने कांग्रेस के कब्जे वाली करीब 55 प्रतिशत सीटों पर जीत हासिल की है. बीजेपी का कांग्रेस के कब्जे वाली सीटों को जीतना और अपने कब्जे वाली सीटों को गंवाना साबित करता है कि सत्ता विरोधी लहर से ज्यादा लोकल एमएलए के खिलाफ लहर अधिक थी.