देश और दुनिया में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ता जा रहा है. भारत भी इससे अछूता नहीं है. फिलहाल देश एयर पॉल्यूशन की समस्या से जूझ रहा है. लेकिन देश दूषित पानी की समस्या से भी कई सालों से जूझ रहा है. कम्पोजिट वॉटर मैनेजमेंट इंडेक्स (CWMI) की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में सेफ वॉटर की अपर्याप्त पहुंच के कारण हर वर्ष दो लाख लोगों की मौत हो जाती है. रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक लगभग 600 मिलियन लोगों को वॉटर स्ट्रेस का सामना करना पड़ सकता है, जो कि देश की अनुमानित जनसंख्या का करीब 40 फीसदी है.
दूषित पानी की समस्या से राजधानी दिल्ली और एनसीआर का इलाका काफी ज्यादा प्रभावित है. दिल्ली से होकर गुजरने वाली प्रमुख नदी यमुना की हालत देखें तो वह काफी खराब है. दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की एक बड़ी वजह अपशिष्ट को जल में छोड़ना भी है. जिस कारण पानी प्रदूषित होता है और जल जनित बीमारियां लोगों में फैलती हैं. रिपोर्ट्स की मानें तो यमुना नदी के अलावा दिल्ली एनसीआर से निकलने वाली अन्य नदियों का हाल भी कुछ खास अच्छा नहीं है.
दूषित पानी से होती हैं ये बीमारियां
दूषित पानी के कारण कई बीमारियां फैलती हैं. जिनमें डायरिया, हैजा, टाइफाइड, मलेरिया आदि शामिल हैं. इन बीमारियों की वजह से बच्चे, बड़े और बुजुर्ग सभी वर्ग के लोग पेट दर्द, दस्त, उल्टी, सिरदर्द, बुखार आदि समस्या से जूझते हैं.
किए जा रहे कार्य
दूषित पानी की समस्या को दूर करने के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं. ये तय करने के लिए कि पीने का पानी सुरक्षित है सरकार की ओर से पीने के पानी के स्रोतों का नियमित रूप से परीक्षण किया जा रहा है. पानी में से दूषित पदार्थों को निकालने के लिए फिल्टर और क्लोरीनेशन की व्यवस्था की गई है. इसके अलावा दूषित पानी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए भी कई प्रयास किए जा रहे हैं. हालांकि इन सभी कामों के बाद भी इस क्षेत्र में और सुधार लाने की जरूरत है. ताकि दूषित पानी से होने वाली मौतों की संख्या में गिरावट आए.