कानपुर। रक्षा मंत्रालय के PSU ग्लाइडर्स इंडिया लिमिटेड कंपनी की उत्पादन इकाई आयुध पैराशूट फैक्ट्री (OPF) कानपुर ने 16 टन तक के हथियार, गोला और टैंक का वजन उठाने में सक्षम पैराशूट प्रणाली के अनुंसधान और विकास पर कार्य शुरू किया है। इस प्रोजेक्ट में लार्सन एंड टूब्रो कंपनी के विशेषज्ञों की भी मदद ली जा रही है।
P-16 पैराशूट बनने पर सेना को दुर्गम पहाड़ों पर अपना तोपखाना ले जाना आसान होगा। पैराशूट से होवित्जर तोप, टोड गन सिस्टम और माउंटेड गन सिस्टम को ऊंची पहाड़ियों पर ले जा पाना संभव होगा।
भारतीय सेना ने P-16 पैराशूट की मांग की है। पैराशूट उपलब्ध होने पर पाकिस्तान और चीन सीमा पर पहाड़ियों पर स्वचालित होवित्जर जैसी तोपें पहुंचा कर भारतीय सेना बहुत ही मजबूत स्थिति में होगी।
OPF के महाप्रबंधक एमसी बालासुब्रमणियम के मुताबिक P-16 पैराशूट बनाना आयुध निर्माणी और कंपनी के लिए बड़ी उपलब्धि होगी। अगले वर्ष तक उसका निर्माण संभव होगा। यह पैराशूट सेना के लिए काफी मददगार साबित होंगे।
DRDO की इकाई एआरडीई ने P-7 हैवी ड्राप पैराशूट सिस्टम का डिजाइन दिया था, जिसे GIL ने पैराशूट के रूप में विकसित करके दिया। अब सेना से आर्डर मिलने के बाद ओपीएफ में उत्पादन कार्य तेज हो गया है। आर्डर अगले दो वर्ष में पूरा करना है।
OPF ने इससे पहले छह टन तक आयुध सामान उठाने में सक्षम पैराशूट P-6 बनाकर सेना से दो सौ करोड़ का आर्डर हासिल किया है। पैराशूट के अनुसंधान में आइआइटी के विज्ञानी भी करेंगे मदद GIL कंपनी ने विशिष्ट और उन्नत पैराशूट विकसित करने के लिए IIT कानपुर के स्टार्टअप इन्क्यूबेशन सेंटर से एमओयू किया है।
आइआइटी के विज्ञानी पैराशूट अनुसंधान में मदद करेंगे। इससे अनुसंधान और विकास कार्य में गुणवत्ता बढ़ाई जाएगी।
अनुसंधान और विकास कार्य शुरू जीआइएल कंपनी के सीएमडी विजय कुमार तिवारी ने बताया कि P-7 के बाद अब P-16 पैराशूट सिस्टम पर अनुसंधान और विकास कार्य शुरू हुआ है, इसमें एलएंडटी कंपनी के विशेषज्ञों का भी सहयोग ले रहे हैं। उम्मीद है कि प्रोजेक्ट में भी सफलता मिलेगी। फिलहाल, P-7 पैराशूट उत्पादन आर्डर पूरा करने में फोकस है।