ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की वैज्ञानिक सर्वेक्षण रिपोर्ट आज (28 नवंबर) आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया जिला न्यायालय में पेश करने वाली थी. लेकिन एक बार फिर एएसआई की टीम ने ज्ञानवापी परिसर में किए गए वैज्ञानिक सर्वे रिपोर्ट को पेश करने के लिए तीन हफ्ते की मोहलत मांग ली. बता दें कि 100 दिनों के सर्वेक्षण रिपोर्ट की समय सीमा आज खत्म हो रही है. 17 नवंबर को वाराणसी जिला न्यायालय की तरफ से एएसआई की टीम को 10 दिन का अतिरिक्त समय दिया गया था.
सर्वेक्षण में 250 प्राचीन अवशेष और साक्ष्य मिलने का दावा किया जा रहा है. सुबह से शहर में ज्ञानवापी का फैसला जानने के लिए उत्सुकता देखी जा रही थी. अब एक बार फिर एएसआई की टीम ने सर्वे रिपोर्ट को पेश करने के लिए अदालत से तीन हफ्ते की मोहलत दिए जाने की अपील की. एएसआई के प्रार्थना पत्र पर जिला जज आज दोपहर बाद सुनवाई करेंगे. ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष की तरफ से मुख्य पक्षकार डॉ. सोहन लाल आर्य ने आज के दिन को निर्णायक बताया है. उन्होंने कहा कि एएसआई की तैयार सर्वे रिपोर्ट में स्पष्ट हो जाएगा कि पूरे ज्ञानवापी परिसर का असली इतिहास क्या है.
पाकिस्तान से धमकी मिलने के बावजूद उत्साह नहीं हुआ कम
डॉ. सोहनलाल आर्य ने बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर को सौंपे जाने के लिए 39 वर्षों से संघर्ष जारी है. 29 वर्षों से अदालत में लड़ाई लड़ी जा रही है. हमारा एक ही उद्देश्य है कि पूरे परिसर को बाबा काशी विश्वनाथ को सौंप दिया जाए. इस दौरान हमें पाकिस्तान से दो बार सिर कलम करने की भी धमकी मिली. लेकिन सिर कलम की धमकी मिलने के बाद हमने दोगुने उत्साह से मुकदमे में पैरवी की और संघर्ष को अधिक रफ्तार से आगे बढ़ाया. मामला आस्था के साथ-साथ हमारी विरासत से भी जुड़ा हुआ है. हम चाहते हैं कि इस मामले में सनातन संस्कृति के साथ न्याय हो.
मुस्लिम पक्ष ने विरोध किया
72 वर्षीय सोहनलाल आर्य ने कहा कि कोर्ट कमिशन की कार्रवाई के बाद एएसआई सर्वे हुआ. सर्वे के दौरान मिले कई प्रमाण ज्ञानवापी परिसर का असली अस्तित्व बताते हैं. दीवारों पर डमरू, त्रिशूल की आकृति, अवशेष, नंदी के मुख ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का वास्तविक इतिहास कुछ बता रहे हैं. उन्होंने कहा कि मामले में सर्वे की समय सीमा बढ़ाए जाने का मुस्लिम पक्ष ने विरोध किया था.