नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किए गए डीएमके मंत्री वी सेंथिल बालाजी की जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
मद्रास हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुनवाई
बालाजी मेडिकल आधार पर जमानत की मांग कर रहे थे। शीर्ष अदालत, मद्रास उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसने 19 अक्टूबर को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इस याचिका में कहा गया था कि अगर उन्हें जमानत दी गई, तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।
स्वास्थ्य स्थिति में कुछ गंभीर नहीं
न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति एससी शर्मा की शीर्ष अदालत की पीठ ने स्वास्थ्य रिपोर्टों पर गौर करने के बाद कहा कि उनकी स्वास्थ्य स्थिति में कुछ भी गंभीर नहीं है। साथ ही, बालाजी को नियमित जमानत लेने के लिए ट्रायल कोर्ट से संपर्क करने की छूट दी।
वकील ने वापस ली याचिका
पीठ ने कहा, “गुण-दोष के आधार पर याचिकाकर्ता के खिलाफ अंतरिम आदेश में की गई कोई भी टिप्पणी याचिकाकर्ता के नियमित जमानत आवेदन दाखिल करने के रास्ते में नहीं आएगी।” जैसे ही पीठ ने मामले पर विचार न करने की इच्छा व्यक्त की, मंत्री के वकील ने याचिका वापस ले ली और मामले को वापस लिया गया मानकर खारिज कर दिया गया।
शीर्ष अदालत ने दिया तर्क
शीर्ष अदालत ने पहले बालाजी को अपनी मेडिकल रिपोर्ट रिकॉर्ड में पेश करने का निर्देश दिया था। जमानत याचिका खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा था कि बालाजी की स्वास्थ्य रिपोर्ट से ऐसा नहीं लगता कि यह कोई चिकित्सीय स्थिति है, जिसका ध्यान तभी रखा जा सकता है, जब उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए।
मालूम हो कि बालाजी को 14 जून को ईडी ने नौकरी के बदले नकदी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था, जब वह पूर्ववर्ती अन्नाद्रमुक शासन के दौरान परिवहन मंत्री थे।