विभाग नहीं दे रहा है ध्यान, बच्चों का बचपन घरों में कैद!
बाराबंकी। नगर पालिका परिषद नवाबगंज के वार्ड आजाद नगर में वर्तमान में बंदरों का आतंक मचा हुआ है, गली-गली में बंदरों के झुण्ड से यहां के निवासी परेशान व हैरान नजर आ रहे है। बंदरों के डर से छोटे-छोटे बच्चे घरों में कैद हो गये हैं उनका बचपन अब मोहल्ला की गलियों में गुजर के बजाय कमरों में कैद होता दिख रहा है। न नगर पालिका ध्यान दे रहा है और न ही वन विभाग और न ही प्रशासन, ऐसे में यहां लोग जाये तो कहा जाये।
प्राप्त जानकारी के अनुसार आजाद नगर में दिनों जनता बंदरों के आतंक से त्रस्त है। शहर के अलग-अलग हिस्सों में बंदरों के आतंक ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। आलम यह है कि बीते दिनों कई लोगों को बंदरों ने कांटा है। यहीं नहीं बंदरों का यह आतंक दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है. वहीं, वन विभाग से नगर पालिका प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है। इसका खामियाजा ना सिर्फ जनता उठा रही है बल्कि बच्चों का पचपन घरों में बीत रहा है। बंदर आए दिन किसी न किसी व्यक्ति पर हमला कर उसे घायल कर रहे हैं। बंदर लोगों के घरों से सामान उठा ले जाते है। इतना ही नहीं रास्ते से जा रहे राहगीरों पर भी हमला किए जाने से वाहन चालक गिर रहे है। जिससे लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है।
इस सम्बंध में जब स्थानीय लोगों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि बंदर घर की छतों पर लगे टीवी की छतरी, पानी की टंकी की आदि को नुकसान पहुंचा रहे है। इतना ही नहीं उत्पाती बंदरों के डर से लोग छतों पर अपने कपड़े या कोई भी सामान नहीं रख पा रहे है। बंदरों की बढ़ती आतंक से लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है। आजाद नगर के निवासी बंदरों को पकड़कर जंगलों में छोड़ने की मांग कर रहे हंै। बंदर लोगों के घरों में घुस जाते है और खाने-पीने के सामान को बिखरने के साथ-साथ कई बार बच्चों पर हमला भी कर देते है। हालात यह है कि लोग अब बंदर से बचाव के लिए नए-नए नुस्खे आजमा रहे हैं। लेकिन बंदर से पार पाना यहां के लोगों के बस से बाहर है। बंदर के कारण लोग छतों पर कपड़े भी नहीं सुखाते क्योंकि बंदर उन कपड़ों का फाड़ देते हैं या लेकर भाग जाता हैं। बंदर की समस्या को लेकर आजाद नगर निवासी अविनाश यादव ने बताया बंदर अक्सर हमला बोल देते हैं जिससे काफी नुकसान होता है। बच्चे बंदरों से परेशान लोग घर के भीतर कैद हो गए।
बंदर के चलते बच्चे भी घरों से बाहर व छतों पर खेलने कूदने नहीं जाते हैं और कोई युवक अगर घर से बाहर निकलता है तो हाथ में डंडा आदि लेकर निकलता है। वहीं चन्द्रशेखर ने बताया कि बंदरों के बड़े-बड़े झुंड गलियों में कई जगहं देखने को मिल जाते हैं, आलम यह है कि बंदरों के हमले से बच्चांे के साथ-साथ बड़े बुजुर्गों में काफी दहशत दिख रही है। हिना खातून ने बताया कि बंदरों के हमले सामान छीनने के लिए होते हैं. बंदरों के लोगों से सामान छीनने के पीछे की एक बड़ी वजह है कि, संबंधित विभागों द्वारा उनके खाने-पीने और रहने की कोई व्यवस्था नहीं की जाती है, आजाद नगर में बंदरों का आतंक कुछ ज्यादा है।
अब देखना यह है कि क्या नगर पालिका प्रशासन या वन विभाग या जिला प्रशासन इस समस्या पर ध्यान देगा या फिर जनता की समस्या इसी तरह बनी रहेगी और प्रशाासन पर कोई असर नहीं होगा यह तो आने वाला समय ही बतायेगा।