लखनऊ। आंखों के सामने ही बेटे की तेज चीख और फिर शांत हो जाना। बाबू क्या हो गया, कुछ तो बोलो, लेकिन वह तो अचेत था। कुछ सेकेंड एएसपी श्वेता श्रीवास्तव के लिए भारी पड़ गए। बेटे के साथ हुए हादसे से वह घबरा गईं थीं। दुर्घटना का शिकार हुए बेटे की मौत से गमगीन एएसपी श्वेता श्रीवास्तव कहती हैं कि वह सड़क की दूसरी पटरी पर टहल रही थीं। एकाएक कार ने बेटे को टक्कर मारी। बेटा मां कहकर चीखा। भागकर पहुंचीं तो वह सड़क पर खून से लथपथ पड़ा था।
बाबू कहकर बेटे को आवाज दी, लेकिन वह दोबारा कुछ नहीं बोला। बेटे को लेकर अस्पताल पहुंचीं, जहां डाक्टरों ने बताया कि उसकी सांसें थम चुकी हैं। बेटा बिना कुछ बोले चला गया। श्वेता की हालत बिगड़ती देख परिवारजन उन्हें घर लेकर पहुंचे। ढांढस बंधाते हुए शांत कराया। जिसने भी घटना को सुना, सहम गया।
दोपहर करीब दो बजे जब नामिश का शव संजय गांधीपुरम के घर से पोस्टमार्टम के लिए ले जाया जा रहा था तो श्वेता लोगों से बेटे को छोड़ने की जिद करने लगीं। एएसपी बबिता सिंह, आईपीएस रुचिता चौधरी व अन्य ने समझाकर श्वेता को शांत कराया। श्वेता ने कहा कि मेरा बाबू मुझे अकेले छोड़कर चला गया। अब किसके सहारे जीवन कटेगा। कैसे रहूंगी। इस दृश्य से हर किसी की आंखें भर आईं।
पुलिस अधिकारी सांत्वना देने पहुंचे घर
एडीजी डीके ठाकुर, रेणुका मिश्रा, एडीजी जोन लखनऊ पीयूष मोर्डिया, डीसीपी कासिम आब्दी, एएसपी अवनीश चंद्र श्रीवास्तव, चिरंजीव नाथ सिन्हा, अभय मिश्रा, डिप्टी एसपी आइपी सिंह, संजीव सिन्हा के अलावा नामिश के सेंट फ्रांसिस स्कूल के प्रधानाचार्य फादर आल्विन और क्लास टीचर रोली समेत अन्य लोग पहुंचे।
बोला- लर्निंग है, डीएल पर मांगने पर नहीं दे पाया साक्ष्य
एडीसीपी पूर्वी सय्यद मो. अली अब्बास ने बताया कि देवश्री वर्मा और सार्थक से ड्राइविंग लाइसेंस मांगा गया तो दोनों ने कहा कि उनका लर्निंग बना है। दिखाने के लिए कहा गया तो वे साक्ष्य के तौर पर प्रस्तुत नहीं कर सके। दोनों के खिलाफ इस मामले में भी धाराएं बढ़ाई जाएंगी। वहीं, कार कानपुर के सर्राफ अंशुल वर्मा की है। अंशुल, आरोपित देवश्री वर्मा के चाचा हैं। कार कई दिनों से देवश्री के पास ही थी।