अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में एक तरफ प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों पर हैं, तो वहीं रामलाल के गर्भ गृह में विराजमान होने के बाद उनकी पूजा रामनंदीय परंपरा से की जाएगी. रामलला की विधिवत पूजा के साथ-साथ आरती और भोग लगाने के लिए प्रशिक्षित पुजारी को वहां नियुक्त किया जाएगा. इस काम को करने के लिए राम मंदिर ट्रस्ट की श्री राम विधि विधान सेवा समिति ने पुजारियों के चयन के लिए मंदिर की वेबसाइट पर लोगों से ऑनलाइन आवेदन मांगा था.
ऐसे हुआ चयन
वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन खुलने पर पूरे देश से 3 हजार आवेदन प्राप्त हुए थे. इसमें से इन लोगों के एक तय मानक के अनुरूप लिखित टेस्ट लिए गए. टेस्ट में 225 अभ्यर्थी सफल हुए जिनका कि मंदिर समिति से जुड़ी एक साक्षात्कार कमेटी ने साक्षात्कार लिया. जानकारी के मुताबिक अब इन 225 में से 20 पुजारी का सलेक्शन होगा और जल्द ही इन 20 पुजारियों की सूची जारी कर दी जाएगी. इसके बाद उनको 6 महीने का प्रशिक्षण दिया जाएगा. इस 6 महीने के प्रशिक्षण के बाद इन लोगों को मंदिर की पूजा व्यवस्था में नियुक्त किया जाएगा.
क्या चाहिए थी योग्यता ?
राम मंदिर का पुजारी होने के लिए एक योग्यता तय की गई थी. इस योग्यता के अनुसार व्यक्ति को गुरुकुल से शिक्षित होना था. वहीं रामानंदीय परंपरा में 6 महीने का दीक्षित होना भी जरूरी था. इसके साथ ही जो भी व्यक्ति रामलला का पुजारी बनने का इच्छुक है उसकी उम्र 20 वर्ष से 30 वर्ष की होनी चाहिए थी. परीक्षण के दौरान अभ्यर्थियों से रामानंदीय परंपरा के बारे में पूछा गया. उनसे संध्या वंदन की पूजा विधि जानी गई, इसके साथ ही अलग अलग पूजा के मंत्रों के बारे में भी उनसे सवाल जवाब हुए. वहीं भगवान श्री राम की पूजा के लिए कौन-कौन से विशेष मंत्र हैं और क्या कर्मकांड है इसकी भी परीक्षा ली गई.