हमीरपुर : अक्षय नवमी के मौके पर महिलाओं ने सुबह से ही स्नान आदि कर विभिन्न प्रकार के पकवान आदि तैयार करने के बाद आंवले के पेड़ की पूजा अर्चना की और फिर परिवार समेत पेड़ के नीचे भोजन किया। इस दौरान महिलाओं ने आंवले की पूजा करते हुए सुख समृद्धि की कामना की।
सुबह अधिकांश महिला व पुरुषों ने गंगा स्नान करने के बाद आंवला के पेड़ के नीचे पूजन अर्चन किया। महिलाओं ने सुहाग के सामान सहित फल व फूल चढ़ाया। हमीरपुर के चौरा देवी, गौरा देवी, उद्यान विभाग, वन विभाग समेत कई स्थानों पर अक्षय नवमी की पूजा आराधना की गई। इस तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा के लिए बेहद शुभ दिन माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से कई जन्म संवर जाते हैं। धर्मशास्त्रों के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवले की उत्पत्ति हुई थी। यह विष्णु भगवान और माता लक्ष्मी का प्रिय वृक्ष है। इसलिए इस दिन को आंवला के वृक्ष की पूजा से त्रिदेव ब्रह्मा-विष्णु-महेश के साथ ही माता लक्ष्मी की भी अपार कृपा प्राप्त होती है। महिलाओं ने आंवला के वृक्ष में धागा बांधा और पूजा-अर्चना के साथ व्रत पूरा किया। पंडित बाबूप्रसाद अवस्थी ने अक्षय नवमी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष को आंवले के वृक्ष की पूजा अर्चन व नीचे भोजन पकाकर खाने एवं दान पुण्य करने से अक्षय आयु व निरोग काया की प्राप्ति होती है।