नई दिल्ली। सहारा इंडिया परिवार के संस्थापक सुब्रत रॉय का बुधवार 14 नवंबर 2023 को निधन हो गया। वह 75 वर्ष के थे। मुंबई के एक निजी अस्पताल में लंबे समय से उनका इलाज चल रहा था। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, सहारा परिवार के मुखिया सुब्रत रॉय काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। कंपनी के एक बयान में कहा गया है कि उनकी मृत्यु कार्डियोरेस्पिरेटरी अरेस्ट के कारण हुई। वह 75 वर्ष के थे। बयान के अनुसार, वह उच्च रक्तचाप और मधुमेह रोग से लंबे समय से जूझ रहे थे। अंत: कार्डियोरेस्पिरेटरी अरेस्ट के कारण मंगलवार रात 10.30 बजे उनका निधन हो गया। तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें रविवार को मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके न रहने की कमी सहारा इंडिया परिवार को बहुत खलेगी।
आज लखनऊ लाया जाएगा पार्थिव शरीर
सहारा इंडिया के प्रबंध कार्यकर्ता सुब्रत राय सहारा का पार्थिव शरीर आज बुधवार को लखनऊ लाया जाएगा। उनका अंतिम संस्कार बैकुंठधाम भैसाकुंड पर बुधवार को होगा। अंतिम संस्कार के समय की अभी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है लेकिन परिवारिकजनों के मुताबिक शव दोपहर बारह बजे मुंबई से लखनऊ लाया जाएगा।
शोक में डूबा सहारा परिवार
उनके निधन की सूचना मिलते ही परिवारिकजन सहारा शहर पहुंचने लगे और हर कोई शोक में डूबा दिखा। उधर, महानगर स्थित सहारा इंडिया परिवार के उप प्रबंध कार्यकर्ता ओपी श्रीवास्तव के आवास पर देर रात सुब्रत राय के अंतिम संस्कार की तैयारियों को लेकर बैठक होती रही। माना जा रहा है कि अंतिम संस्कार में राजनीतिक, फिल्मी समेत कई हस्तियां शामिल हो सकती हैं।
करियर की शुरुआत
सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय का जन्म 10 जून 1948 को बिहार के अररिया में हुआ। सुब्रत रॉय ने अपने करियर की यात्रा गोरखपुर के सरकारी तकनीकी संस्थान से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की शिक्षा के साथ शुरू की।
1976 में संघर्षरत चिटफंड कंपनी सहारा फाइनेंस का अधिग्रहण करने से पहले उन्होंने गोरखपुर में व्यवसाय में कदम रखा। 1978 तक उन्होंने इसे सहारा इंडिया परिवार में बदल दिया, जो आगे चलकर भारत की सबसे बड़ी समूहों की कंपनी में से एक बन गई।
सुब्रत रॉय भारतीय व्यापार परिदृश्य में एक प्रमुख व्यक्ति थे। उन्होंने बिजनेस के क्षेत्र में एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की। उनका यह साम्राज्य वित्त, रियल एस्टेट, मीडिया और होटल समेत कई विभिन्न क्षेत्रों तक फैला हुआ है।
सुब्रत रॉय के नेतृत्व में सहारा ने कई व्यवसायों में विस्तार किया। सहारा समूह ने 1992 में हिंदी भाषा का समाचार पत्र राष्ट्रीय सहारा लॉन्च किया। 1990 के दशक के अंत में पुणे के पास महत्वाकांक्षी एम्बी वैली सिटी परियोजना शुरू की।
1990 के बाद सुब्रत रॉय ने सहारा टीवी के साथ टेलीविजन इंडस्ट्री में प्रवेश किया, जिसे बाद में सहारा वन नाम दिया गया। 2000 के दशक में सहारा ने लंदन के ग्रोसवेनर हाउस होटल और न्यूयॉर्क शहर के प्लाजा होटल जैसी प्रतिष्ठित संपत्तियों के अधिग्रहण के साथ अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बटोरीं।
सहारा इंडिया परिवार को एक समय टाइम पत्रिका ने भारतीय रेलवे के बाद भारत में दूसरे सबसे बड़े नियोक्ता के रूप में प्रतिष्ठित किया था। जिसमें बताया गया था कि लगभग 1.2 मिलियन लोग सहारा परिवार के साथ जुड़े हैं। सहारा समूह के पास 9 करोड़ से अधिक निवेशक हैं।
विवादों से भी रहा नाता
सुब्रत रॉय का जीवन कई उपलब्धियों के साथ साथ विवादों से भी भरा रहा। लोगों ने सहारा कंपनी की कई स्कीमों में अपना पैसा लगाया था, लेकिन कंपनी ने घाटे के चलते लोगों के पैसों का भुगतान नहीं किया और मामला पटना हाईकोर्ट में चला गया। सहारा इंडिया के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में मामला चल रहा था, लेकिन जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो सहारा प्रमुख को इस मामले में कोर्ट से राहत मिल गई।
पटना हाईकोर्ट से गिरफ्तारी के आदेश पर तत्काल सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। वह जमानत पर बाहर चल रहे थे, उनका कहना था कि वह कैसे भी करके लोगों तक उनका पैसे पहुंचना चाहते हैं, लेकिन उनके निधन के बाद उनका यह सपना अधूरा रह गया। वहीं निवेशकों के पैसे लौटाने को लेकर सहारा इंडिया का दावा है कि वह सारी रकम सेबी के पास जमा करा चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए “सहारा-सेबी रिफंड खाता” स्थापित किया है।
सुब्रत रॉय को कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए। उन्हें ईस्ट लंदन विश्वविद्यालय से बिजनेस लीडरशिप में डॉक्टरेट की उपाधि मिली। उन्हें लंदन में पॉवरब्रांड्स हॉल ऑफ फेम अवार्ड्स में बिजनेस आइकन ऑफ द ईयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
उनका निधन एक ऐसे व्यक्ति की विरासत छोड़ गया है जो कभी भारत के सबसे प्रभावशाली व्यवसायियों में से एक था। उनका व्यापारिक साम्राज्य देश भर में लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करता है। सहारा समूह उनके निधन पर शोक मना रहा है। सुब्रत रॉय की दूरदर्शिता को आने वाले वर्षों तक याद रखा जाएगा।