सीबीआई ने फर्जी नौकरी देने के नाम पर चलाए जा रहे देशव्यापी रैकेट का भंडाफोड़ किया है। इस मामले में सीबाआई की अलग-अलग टीमों ने बीते तीन दिनों में पटना और अररिया के साथ-साथ धनबाद, मुंबई, मैंगलोर समेत नौ स्थानों पर एक साथ छापा मारा। नौकरी के रैकेट में शामिल बिहार के अररिया जिला के विशाल उर्फ अभिषेक समित तीन लोगों को गिरफ्तार किया है।
सीबीआई से मिली जानकारी के अनुसार, विभिन्न केंद्रीय सरकारी पदों के लिए तैयारी करने वाले हताश नौजवानों को फर्जी नौकरी रैकेट चलाने वाले अपना शिकार बनाते थे। यह रैकेट एक साथ कई राज्यों में चल रहा था।
6 आरोपियों और अज्ञात लोक सेवाओं के खिलाफ केस दर्ज
इस मामले में पुख्ता जानकारी जुटाने के बाद सीबीआई ने छह आरोपियों और अज्ञात लोक सेवकों व अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया। नौकरी चाहने वालों को टारगेट में लेने के बाद आरोपी प्रसंस्करण शुल्क, सुरक्षा जमा की आड़ में काफी धन की वसूली करते थे। कई बार यह रकम किस्तों में ली जाती और 10 से 20 लाख रुपये के बीच होती।
क्या है फर्जी नौकरी का रैकेट?
फर्जी नौकरी का रैकेट इस संगठित तरीके से काम कर रहा था कि यदि कोई नौकरी चाहने वाला यदि पैसा वापस लेना चाहे तो वह संगठन में ऊपर संपर्क न कर सके। नौकरी का संगठित फर्जी कारोबार चलाने वाले आरोपियों ने कई मामलों में नियुक्ति पत्र भी जारी किया।
आरोपियों ने विभिन्न केंद्रों पर प्रशिक्षण के लिए व्यवस्था कर रखी थी। कॉल लेटर और फर्जी प्रशिक्षण केंद्र की संपूर्ण प्रणाली विकसित कर ली थी। सूत्रों ने बताया पटना, धनबाद, बक्सर, नागपुर और बेंगलुरु में नौकरी चाहने वालों को फर्जी प्रशिक्षण दिया गया था।
इन जगहों पर CBI ने की छापेमारी
इस मामले में सीबीआई ने पटना, धनबाद, मुंबई, बेंगलुरु, मैंगलोर सहित नौ स्थानों पर तलाशी ली, जिसमें मुंबई के साकीनाका में दो फर्जी प्रशिक्षण केंद्र, पटना और बक्सर में एक फर्जी प्रशिक्षण केंद्र पकड़े गए। जिसमें कथित तौर पर नौकरियों के लिए फर्जी नियुक्तियों के बाद लगभग 25 नौकरी चाहने वालों को प्रशिक्षण दिया जा रहा था।
तलाशी के दौरान फर्जी कॉल लेटर, फर्जी नियुक्ति पत्र, नौकरी चाहने वालों के फर्जी प्रशिक्षण डोजियर जैसे आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए गए। गिरफ्तार आरोपियों को कोर्ट में पेश किया जाएगा। जांच आगे भी जारी है।
अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने दिन में पटना, मंगलुरु, बेंगलुरु और धनबाद में नौ ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया. यहां रेड के दौरान करीब 25 लोग भी जांच एजेंसी को मिले, जिन्हें फेक जॉब लेटर दिया जाना था. ये गिरोह FCI, GST और अलग-अलग मंत्रालयों में नौकरी का झांसा देता था.
अधिकारियों के अनुसार, तलाशी अभियान में ये सामने आया है कि गिरोह बीते दो सालों से फर्जीवाड़े में शामिल था और अभ्यर्थियों से सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपये ऐंठ चुका था. उन्होंने बताया कि गिरोह सरकारी नौकरी दिलाने के एवज में 10 से 15 लाख रुपये लेता था.
अधिकारियों ने बताया कि गिरोह के सदस्यों ने कई शहरों में उम्मीदवारों के लिए फर्जी प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए थे, जिनमें से पटना और मुंबई के साकीनाका में एक-एक शिविर अभी भी संचालित हो रहा था.