नई दिल्ली। विधानसभाओं में पारित विधेयकों को मंजूरी देने में राज्यपालों के देरी करने पर पंजाब और तमिलनाडु की सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित और तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि के क्रमश: भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की सरकार और एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली द्रमुक सरकार के बीच टकराव की स्थिति है।
विगत 28 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गई थीं। इसमें पंजाब सरकार की याचिका का ब्योरा अभी उपलब्ध नहीं है। पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने विधानसभा में पारित कुल 27 में से 22 विधेयकों को ही मंजूरी दी है। पंजाब सरकार विधानसभा के एक विशेष सत्र में तीन वित्त विधेयक पेश करने वाली थी।
विधेयकों को राज्यपाल की हरी झंडी के लिए भेजा गया
इन विधेयकों को राज्यपाल की हरी झंडी के लिए भेजा गया लेकिन यह मामला उनके पास ही अटका है। इसके चलते मुख्यमंत्री भगवंत मान को विशेष सत्र को स्थगित करना पड़ा और उन्होंने कहा कि वह इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। इसी तरह, तमिलनाडु सरकार ने याचिका में कहा कि विधानसभा में पारित 12 विधेयक राज्यपाल आरएन रवि के कार्यालय में लंबित हैं।
इसमें कहा गया है कि राज्यपाल रोजमर्रा की फाइलों, नियुक्तियों के आदेशों, मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई, भ्रष्ट विधायकों के मामलों और सीबीआइ जांच के हस्तांतरण के संबंध में मंजूरी नहीं दे रहे हैं। राज्यपाल के राज्य प्रशासन के साथ असहयोग से कामकाज ठप हैं।