मणिपुर में महीनों से जारी जातीय हिंसा के बीच मंगलवार को संदिग्ध उग्रवादियों की गोली लगने से एक पुलिस अधिकारी की मौत हो गई। यह घटना तब हुई जब मोरेह उप-विभागीय पुलिस अधिकारी (SDPO) चिंगथम आनंद सीमावर्ती शहर के पूर्वी मैदान में एक नवनिर्मित हेलीपैड का निरीक्षण कर रहे थे।
गोली लगने के बाद एसडीपीओ को मोरेह के एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तुरंत भर्ती कराया गया, जहां उमकी मौत हो गई। पुलिस ने उग्रवादियों को पकड़ने के लिए सर्च अभियान शुरू कर दिया है।
मणिपुर के CM ने जताया शोक
इस घटना को लेकर मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि वह आनंद की ‘नृशंस हत्या’ से दुखी हैं। सिंह ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, ‘आज सुबह मोरेह पुलिस के ओसी, एसडीपीओ चिंगथम आनंद की निर्मम हत्या से बहुत दुखी हूं। लोगों की सेवा और सुरक्षा के प्रति उनके समर्पण को हमेशा याद रखा जाएगा और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा।’
3 मई की हिंसा क्यों नहीं थम रही
समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक, यह घटना कई नागरिक समाज संगठनों, खासकर मोरेह स्थित संगठनों के सदस्यों द्वारा सीमावर्ती शहर से राज्य बलों को हटाने की मांग के कुछ दिनों बाद हुई है।
गौरतलब है कि 3 मई को मणिपुर के चुराचांदपुर शहर में हुई पहली झड़प के बाद व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई। ये झड़पें आदिवासी समूहों द्वारा राज्य के आरक्षण में प्रस्तावित बदलाव के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के आह्वान के बाद हुईं, जिसमें मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिया गया था।
अब तक 50 हजार से अधिक लोग हुए विस्थापित
3 मई की हिंसा तेजी से पूरे राज्य में फैल गई। तब से राज्य में कम से कम 175 लोग मारे गए हैं और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। सैकड़ों घर जला दिए गए, व्यवसाय नष्ट हो गए और राज्य महीनों से इंटरनेट के बिना रहने पर मजबूर रहा।
अधिकारियों ने कहा कि भीड़ ने पुलिस स्टेशनों और शस्त्रागारों से 5,669 प्रकार के हथियार और लगभग 500,000 राउंड गोला-बारूद लूट लिया। अक्टूबर के पहले सप्ताह तक उनमें से केवल 1300 के आसपास ही हथियार बरामद किया गया था।