लखनऊ। बीजेपी पसमांदा मुसलमानों के बाद अब सूफी समाज के जरिए सभी अल्पसंख्यकों को रिझाने में जुट गई है। बीजेपी का मानना है कि दरगाहों और मजारों पर आने वाला अल्पसंख्यक समाज केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं का सबसे बड़ा लाभार्थी है। इनमें काफी लोग अल्पसंख्यक समुदाय के उपेक्षित वर्ग से आते हैं। बीजेपी किसी को भी अपनी पहुंच से अछूता नहीं छोड़ना चाहती।
पार्टी यह भी मानती हैं कि 2022 के विधानसभा चुनावों में आठ फीसदी मुस्लिमों ने भी भाजपा को मत दिया था। इसके बाद 60 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी वाली रामपुर लोकसभा, रामपुर विधानसभा और विपरीत समीकरणों वाली आजमगढ़ लोकसभा सीट को उपचुनाव मे जीतने में सफलता भी बगैर पसमांदा मुस्लिमों पर भरोसा किए नहीं मिल सकती थी। स्वार विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी के सहयोगी अपना दल का मुस्लिम विधायक भी जीत गया।