हर साल नौ अक्तूबर को वर्ल्ड पोस्ट डे मनाया जाता है। पहले के समय में लोग अपनी बातों का आदान प्रदान करने के लिए चिट्ठियों का इस्तेमाल करते थे। संदेश पहुंचाने के लिए चिट्ठियां ही एकमात्र माध्यम हुआ करती थीं। जिसे सफल बनाने के लिए डाक विभाग की भूमिका अहम होती थी।
आज वर्ल्ड पोस्ट डे के मौके पर हम आपको बताएंगे कि आखिर इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई? स्विट्जरलैंड में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की स्थापना हुई थी। जिसके बाद इस दिन को मनाने के लिए प्रस्ताव जारी किया गया था।
पिछले कई सालों से चिट्ठियों का चलन कम हो गया है। लोगों को डाक सेवा के महत्व को लेकर जागरूक करना ही इस दिन को मनाने का मुख्य मकसद है। आज के टेक्नोलॉजी के जमाने में भी डाक की अहमियत को बरकरार रखना बड़ी चुनौती है। हांलाकि डाक का इस्तेमाल अब कम हो गया है लेकिन आज भी कई संस्थाएं अपने ऑफिशियल काम के लिए डाक पर भरोसा करती हैं।
विश्व डाक दिवस का इतिहास
9 अक्टूबर 1874 में स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में एक यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) का गठन हुआ, जिसमें दुनिया के 22 देश शामिल थे। यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन डाक विभाग और पोस्टल सर्विसेज के लिए काम करने वाला पहला अंतरराष्ट्रीय संस्थान था। बाद में साल 1969 में जापान की राजधानी टोक्यो में यूपीयू का एक सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में यूपीयू के के गठन दिवस यानी 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस के तौर पर मनाने का फैसला लिया गया।
विश्व डाक दिवस से जुड़ी रोचक जानकारियां
विश्व डाक दिवस मनाने के लिए हर साल एक नई थीम होती है। साल विश्व डाक दिवस 2022 की थीम ‘पोस्ट फॉर प्लैनेट’ है। इस थीम का उद्देश्य बढ़ते क्लाइमेट क्राइसिस से बचने के लिए और पृथ्वी की रक्षा के लिए डाक सेवा की भूमिका तय करना है।
दुनिया की लगभग 82 फीसदी आबादी को डाक के जरिए होम डिलीवरी की सुविधा मिलती है। 77 प्रतिशत लोग ऑनलाइन भी डाक सेवा का फायदा उठाते हैं।
भारतीय डाक सेवा की रोचक बातें
दुनिया की पहली आधिकारिक एयरमेल उड़ान भारत से शुरू हुई थी।
18 फरवरी 1911 को पहला आधिकारिक मेल किया गया था। एक फ्रांसीसी पायलट हेनरी पेक्वेट ने अपने हंबर बाइप्लेन पर एक बोरी भरकर डाक रखे थे। बोरी में लगभग 6 हजार कार्ड और पत्र थे। फ्लाइट की उड़ान भारत से शुरू हुई थी।
आजाद भारत में पहला आधिकारिक डाक टिकट 21 नवंबर 1947 को जारी किया गया।
ए डाक टिकट में ‘जय हिंद’ लिखा था और साथ ही भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को दर्शाया गया।
जब देश आजाद हुआ, उस समय तक भारत में 23,344 डाकघर थे।
आज भारत विश्व का सबसे बड़ा पोस्टल नेटवर्क है।