क्या दिल्ली से लेकर काठमांडू और कराची तक 8 तीव्रता का बहुत बड़ा जलजला आने वाला है। क्या ये महाविनाशकारी भूकंप आना तय है और 29 अक्टूबर के आसपास इस तरह का भूकंप आ सकता है? वैसे तो भूकंप के बारे में पहले से कुछ भी कहना मुश्किल होता है। लेकिन जिस तरीके से एक ही दिन में आठ बार धरती का कांपना और हिमाचल की हलचल को देखते हुए दिल्ली के आसपास जल्द ही एक बड़े और विनाशकारी भूकंप की आशंका बढ़ गई है। दोपहर के करीब 2 बजकर 50 मिनट के आसपास भूंकप के झटके महसूस किए गए थे। इसका सेंटर नेपाल था। उसके बाद आज नॉर्थ ईस्ट में बादल फटा। ऐसे में दिल्ली के आसपास 8 तीव्रता का भूकंप आ गया तो कुछ बाकी नहीं बचेगा। 80 प्रतिशत दिल्ली तबाह हो जाएगी।
भूकंप आते ही लोग अपने घर से निकल गए और कुछ तो मोबाइल पर इसकी तीव्रता का पता कर रहे थे। इस भूकंप का केंद्र नेपाल था और इसकी तीव्रता 6.2 थी। खतरा इसलिए बड़ा था क्योंकि नेपाल में भूकंप का केंद्र धरती से पांच किलोमीटर था। नेपाल में एक घंटे के भीतर 5 और 6 तीव्रता वाले भूकंप के झटके महसूस किए गए। नेपाल में धरती हिलते ही लोगों को वर्ष 2015 की तबाही याद आ गई। जब 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था। उस वक्त विनाशकारी भूकंप से 9 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे और 23 हजार से ज्यादा घायल हो गए थे।
जब भी भूकंप के केंद्र की बात होती है तो उसमें ये बताया जाता है कि भूकंप जमीन के कितने नीचे आया है। जैसे नेपाल में आए इस भूकंप का केंद्र जमीन से सिर्फ 5 किलोमीटर नीचे था। सिस्मोलॉजी में भूकंप को दो श्रेणी में बांटा जाता है। पहला शैलो और दूसरा डीप। दुनिया में कही भी भूकंप आए उन्हें इन्हीं दो श्रेणियों में रखा जाता है। शैले यानी सतही भूकंप ऐसे होते हैं जिनका केंद्र जमीन के 70 किलोमीटर नीचे माना जाता है। इसमें भूकंप की तीव्रता बहुत तेज होती है। वहीं डीप भूकंप ऐसे होते हैं जिनका केंद्र जमीन के 70 किलोमीटर से ज्यादा नीचे होता है। इसकी तीव्रता पृथ्वी की सतह पर कम महसूस होती है। इस तरह के भूकंप बड़़े क्षेत्र में महसूस किए जाते हैं।