नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां दिल्ली पुलिस के एक कांस्टेबल ने कथित तौर पर अपने पूर्व सहकर्मी की हत्या कर दी और फिर पुलिस और परिवार से दो साल तक झूठ बोलता रहा. दो साल तो वह युवती के परिजनों को विश्वास दिलाता रहा कि उनकी बेटी जिंदा है और कई बार उसने यकीन दिलाने के लिए बात भी कराता रहा. हालांकि पुलिस की सख्त जांच के बाद इस हत्या का खुलासा हुआ है और आरोपित कांस्टेबल व उसके दो साथियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली पुलिस में हेड कांस्टेबल सुरेंद्र राणा (42) को युवती से प्यार हो गया, लेकिन जब पीड़िता ने इस बात से इनकार कर दिया तो राणा ने उसकी हत्या कर दी. राणा के बहनोई रविन (26) और राजपाल (33) ने शव और अपराध को छिपाने में उसकी मदद की. पीड़िता की पहचान मोना के रूप में हुई है, जो राणा के दो साल बाद 2014 में दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के रूप में शामिल हुई थी. दोनों पीसीआर में तैनात थे. इस बीच मोना को यूपी पुलिस में सब-इंस्पेक्टर की नौकरी मिल गई, जिसके बाद उसने नौकरी छोड़ दी और दिल्ली से सिविल सेवा यानी यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी.
गला घोंटा, शव को नाले में फेंका
हालांकि, पुलिस के मुताबिक मोना के नौकरी छोड़ने के बाद भी सुरेंद्र उस पर नजर रखता था. जब मोना को पता चला तो उसने विरोध किया. 8 सितंबर, 2021 को दोनों के बीच कथित तौर पर बहस हुई, जिसके बाद सुरेंद्र मोना को एक सुनसान जगह पर ले गया, उसका गला घोंट दिया, उसके शव को नाले में फेंक दिया और शव को छिपाने के लिए उस पर पत्थर डाल दिए. फिर उसने अपनी विस्तृत योजना बनाई, जिसकी शुरुआत मोना के परिवार को फोन करने और उन्हें यह बताने से हुई कि वह किसी अरविंद के साथ गायब हो गई है.
मोना के नाम पर वैक्सीन सर्टिफिकेट तक बनवाया
वह परिवार के संपर्क में रहा और उसकी तलाश करने का नाटक करता रहा. वह कई बार उनके साथ थाने भी गया. परिवार को यह दिखाने के लिए कि मोना जीवित है, वह एक महिला को कोरोना वायरस का टीका लगवाने ले गया, लेकिन मोना के नाम पर प्रमाणपत्र हासिल करने में कामयाब रहा. उसने यह दिखाने के लिए कि मोना जीवित है और इसका उपयोग कर रही है, उसके बैंक खाते से लेनदेन किया. उसने उसका सिम कार्ड भी इस्तेमाल किया. कभी-कभी, वह परिवार को बताता था कि उसे जानकारी है कि मोना कहां है और वह मोना की “तलाश” करने के लिए बेखबर परिवार के साथ पाँच राज्यों के कई शहरों में गया.
मोना के परिजनों को भेजता था एडिटेड ऑडियो
ये काफी नहीं था. इसके बाद सुरेंद्र ने अपने बहनोई राबिन को शामिल किया, जिसने इस कहानी में गढ़े गए चरित्र “अरविंद” के रूप में मोना के परिवार से बात की. आरोपी के पास मोना के कई रिकॉर्ड किए गए ऑडियो थे, जिन्हें वह एडिट करता था और उसके परिवार को भेजता था ताकि उन्हें विश्वास हो जाए कि वह जीवित है. राबिन पुलिस और पीड़ित के परिवार को धोखा देने के लिए कथित तौर पर वेश्याओं के साथ पूरे हरियाणा में देहरादून, ऋषिकेश और मसूरी के होटलों में जाता था.
होटल में मोना के नाम पर दूसरी महिलाओं को ले जाता था राणा
विशेष पुलिस आयुक्त, क्राइम, रवींद्र यादव ने बताया कि वह उन महिलाओं के साथ अलग-अलग होटल में जाता था और वहां जानबूझकर मोना के दस्तावेज छोड़ देता था. फिर फोन करके पुलिस को सूचना देता था. इसके बाद पुलिस जब होटल पहुंचती थी तो कर्मचारी इस बात की पुष्टि करते थे कि मोना होटल आई थी. यादव ने कहा, “हमारी जांच में, हमने पाया कि नंबर राजपाल का था और कई सुरागों के बाद साजिश का पर्दाफाश हुआ.”
मेधावी छात्रा थी मोना
यूपी के बुलंदशहर की रहने वाली मोना एक मेधावी छात्रा और क्लास टॉपर थी. उसने बी.एड. किया था। की डिग्री ली और नौकरशाह बनना चाहता था।. दूसरी ओर, राणा की शादी 12 साल के बेटे के साथ हुई थी. यह महसूस करते हुए कि मोना एक उच्च पदस्थ अधिकारी बनने की राह पर है, राणा ने उसका पीछा करना शुरू कर दिया। लेकिन वह उन्हें एक पिता के रूप में देखती थी. इनकार से नाराज होकर आरोपी ने कथित तौर पर मोना की हत्या कर दी और उसे दफना दिया.