कानपुर । मशरूम के पोषणीय महत्व के अलावा मशरूम का उत्पादन एक बहुत ही लाभकारी उद्यम है। यह बात शनिवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर के पादप रोग विज्ञान विभाग के मशरूम शोध एवं विकास केंद्र में आयोजित 06 दिवसीय मशरूम प्रशिक्षण के समापन मौके पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आनंद कुमार सिंह ने कही।
उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि मशरूम उत्पादन हेतु न्यूनतम भूमि आकार की आवश्यकता होती है। मशरूम जैविक खाद का एक मूल्यवान स्रोत है। जो बागवानी फसल उत्पादन में उपयोग किया जाता है। मशरूम की खेती विविधता को स्थिरता प्रदान करने और आय बढ़ाने की दृष्टि से लाभकारी है।
उन्होंने बताया कि मशरूम एक पौष्टिक, स्वास्थ्यवर्धक एवं औषधीय गुणों से युक्त रोग रोधक सुपाच्य खाद्य पदार्थ है। मशरूम में उपस्थित पोषक तत्व मानव शरीर के निर्माण, पुनः निर्माण एवं वृद्धि के लिए आवश्यक है।
नोडल अधिकारी डॉ. एस के विश्वास ने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि मशरूम की खेती कर उद्यम अपना कर आत्मनिर्भर बने। मशरूम की खेती कर महिलाएं, बेरोजगार युवक-युवतियों, प्रवासी श्रमिकों के लिए बेरोजगारी दूर करने के लिए उत्तम साधन है। छह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम पर हुए विभिन्न व्याख्यानों एवं प्रयोगात्मक प्रशिक्षण के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. खलील खान ने बताया कि इस प्रशिक्षण में सेना के पूर्व कर्मी, छात्र, उद्यमी एवं किसानों सहित लगभग 79 प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।