अशोक भाटिया
बिहार के अररिया जिले में एक बार फिर बकरा नदी पर बना पुल भरभराकर गिर गया। 12 करोड़ से निर्मित इस पुल का अभी उद्घाटन भी नहीं हुआ था। हालांकि, बिहार में पुल गिरने की बात नई नहीं है। बीते 10 सालों से बिहार के कई जिलों में पुर गिरे, भ्रष्टाचार को लेकर सिस्टम पर सवाल भी खड़े हुए। लेकिन जवाब अभी तक नहीं मिला।दरअसल, पुल गिरने की घटना भवन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर संकेत करता है। पुल गिरने की घटना, निर्माण कार्य में खराब गुणवत्ता वाला मेटेरियल का उपयोग और भूमि जांच में गड़बडी की बात को उजागर करता है और इस तरह की घटना बिहार के सरकारी सिस्टम पर सवालिया निशाना है।
ज्ञात हो कि बिहार के अररिया जिले में मंगलवार को बकरा नदी पर बना पुल भरभराकर गिर गया। 12 करोड़ से निर्मित इस पुल का अभी उद्घाटन भी नहीं हुआ था। सिकटी प्रखंड स्थित बकरा नदी के पड़रिया घाट पर 12 करोड़ की लागत से पुल का निर्माण किया गया था।
बताया जाता है कि नेपाल में हुई बारिश के कारण अचानक आए नदी में तेज बहाव ने पुल को अपने साथ बहा लिया। पुल का कार्य पूरा हो गया होता तो इससे सिकटी और कुर्साकांटा प्रखंड जुड़ जाता। यह दुखद बात है कि सरकार ने इस पुल पर 12 करोड़ रुपए खर्च किए थे लेकिन सब पानी में चला गया। अच्छा हुआ पु आवागमन के लिए चालू नहीं हुआ था नहीं तो लाशो का ढेर बिछ जाता । वैसे पिछले 5 साल में दूसरी बार नदी ने बदला रास्ता : इस बहाव में परडिया घाट पर बने पुल का तीन पाया भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गये। इसके ऊपर बना गार्डर भी नदी में समा गया है। इस बात को लेकर स्थानीय लोगों में काफी रोष है। इतना घटिया निर्माण किए जाने से इस पुल की यह दशा हुई है।
बिहार में यह एक ऐसी नदी है जिसकी वजह से सरकार भी परेशान है और लोग भी। जब इस नदी पर पहली बार पुल बना तो स्थानीय लोगों को लगा कि पुल निर्माण के बाद उनके इलाके की सूरत बदल जाएगी। लेकिन बकरा नदी ने यहां के लोगों को ऐसा गच्चा दिया कि सरकार के बड़े से बड़ा इंजीनियर भी फेल हो गया। हुआ ये कि, अररिया के सिकटी में बकरा नदी पर साल 2012 में पुल बना। जितनी नदी की चौड़ाई थी उसके मुताबिक पुल 2019 में बनकर तैयार भी हो गया। जैसे ही पुल बनकर तैयार हुआ नदी ने अपना रुख मोड़ लिया और नदी पूरब की और खिसक कर बहने लगी।
सरकार भी हार मानने वाली नहीं थी। उसने दूसरी बार 11 करोड़ खर्च करके 200 मीटर तक पुल का निर्माण किया। फिर स्थानीय लोगों के मुरझाए चेहरे खिल उठे। कुछ दिन की समस्या मानकर, लोगों में पुल बनते ही सारे दुख दूर होने की उम्मीद जग गई। लेकिन सभी के अरमानों को रौंदकर बकरा नदी ने फिर रास्ता बदल दिया। नदी इस बार इस पुल के पश्चिम में बहने लगी। पुल के दोनों ओर बहती नदी के बीच ग्रामीण चचरी पुल बनाकर आर-पार होते हैं।
पुल के दोनों हिस्से अब सूखे में खड़े हैं। हर कोई बिहार के इंजीनियर की इंजीनियरिंग की दाद दे रहा है। इधर बकरा नदी है कि इंजीनियरों की ‘औकात’ से बाहर हो चुकी है। गांव वाले बता रहे हैं कि बकरा नदी एक बार फिर अपना रास्ता बदल रही है। बार-बार मार्ग बदले जाने की वजह से 31 करोड़ की लागत से तैयार खड़ा पुल अब किसी काम का नहीं रहा। लोगों के अरमान फिर एक बार नदी की धारा में गुम हो गए हैं। अगर ये पुल निर्माण पूरा हो जाता तो इस रास्ते के कुर्साकांटा और सिकटी प्रखंड से लेकर नेपाल सीमा तक के लाखों लोगों को इसका फायदा मिलता।
नदी का मार्ग बदलने से कई घरों की जल समाधि हो चुकी है । : स्थानीय ग्रामीण ने बताते है कि बकरा नदी के धारा बदलने से सिर्फ पुल का ही नहीं बल्कि कई घरों को भी नुकसान पहुंचा है। इसकी धारा में कई घर विलीन हो गए। एक पूरी की पूरी बस्ती ही बकरा नदी के बदले रास्ते में आ गई। लोगों को काफी दिक्कते उठानी पड़ रही है। सरकार उनकी सुध नहीं ले रही है।
बता दें कि इस पुल का उद्घाटन होने वाला था। लेकिन उद्घाटन से पहले ही करोड़ों की लागत से बनने वाला पुल ध्वस्त हो गया। बिहार में एक के बाद एक पुल गिर रहे हैं। कोई आंधी से तो कोई बिना आंधी और पानी के। ये हाल तब है जब प्रदेश में बारिश नहीं हुई।
पुल की गुणवत्ता पर सवाल : पुल कैसे गिरा, क्या गुणवत्ता में कोई कमी की वजह से ये हादसा हुआ ये कह पाना मुश्किल है। फिलहाल इस बार भी पुल गिरने पर जांच का मुलम्मा चढ़ाया जाएगा। देखना है कि संबंधित जिम्मेदार पुल के गिरने की क्या वजह बताते हैं।
वैसे बिहार में पुल का गिरना पहली घटना नहीं है । पुलों के गिराने की लम्बी सूचि है । बीते 10 सालों से बिहार के कई जिलों में पुर गिरे, 19 मार्च 2023 को बिहार के सारण जिले में एक पुल गिर गया था। बताया जाता है कि यह पुर अंग्रेजों के जमाने का था। बाढ़ ते बाद पुल जर्जर हो गया था और कई जगहों पर दरारें आ रही थी। विभाग के लापरवाही के कारण यह पुर गिर गया। लेकिन जर्जर पुल को लेकर विभाग की ओर से कोई चेतावनी जारी नहीं किया गया था। 4 जून 2023 को सुल्तानगंज से खगड़िया के अगुवानी गंगा घाट पर निर्माणाधीन पुल के पिलर नंबर 10, 11 और 12 अचानक गिरकर नदी में बह गए थे। पुल गिरने की घटना बिहार में सियासी बवाल खड़ा कर दिया था। पक्ष-विपक्ष के नेताओं ने एक दूसरे पर सवाल खड़े किए थे।
19 फरवरी 2023 को पटना के बिहटा में सरमेरा में फोन लेन पर गिर गया था। वहीं बिहार के दरभंगा जिले के कुशेश्वर स्थान में कमला बलान नदी के सबोहल घाट पर ओवरलोड ट्रक की चपेट में आने से पुल गिर गया था।
15 मई 2023 को पूर्णिया में एक बड़ा हादसा हुआ था। यहां एक पुल का एक बॉक्स ढलाई के दौरान गिर गया थ। जुलाई 2022 में बिहार के कटिहार जिले में भी एक निर्माणाधीन पुल गिर गया था और पुल गिरने से 10 मजदूर घायल हो गए थे।
18 नवंबर 2022 को बिहार के नालंदा जिले में एक निर्माणाधीन पुल गिर गया था।पुल गिरने से 1 की मौत हो गई थी। बाताया जाता है कि यह पुल घटिया निर्माण के कारण गिर गया था।
9 जून 2022 को बिहार के सहरसा में एक पुल गिरने से कई मजदूर घायल हो गए। बख्तियारपुर के कंडुमेर गांव में पुल गिरने से कई लोग दब गए थे। मजदूर पुल पर काम कर था। इसी दौरान पुल गिर गया और मजदूर मलबा में दब गया। हालांकि, बाद में उसे बचा लिया गया।
पटना के फतुहा में 20 मई 2022 को अधिर बारिश के कारण एक पुल गिर गया था। यह पुल 1984 में बना था। वहीं, 30 अप्रेल 2022 को भागलपुर-खगड़िया में एक सड़क पुल गिर गया था।