नई दिल्ली। मोदी सरकार 3.0 में जेडीयू की अहम भूमिका है। भारतीय जनता पार्टी को अगर समान नागरिक संहिता को कानून बनाना है तो नीतीश कुमार की जेडीयू और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी की सहमति लेनी पड़ सकती है।
वहीं, यूसीसी को लेकर अलग-अलग दलों के विभिन्न राय है। केंद्रीय कानून और न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने पदभार संभालते हुए का कि यूसीसी अभी भी मोदी सरकार के एजेंडे का हिस्सा है। इसी बीच यूसीसी पर जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने बुधवार को प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने एक समाचार पत्र से बातचीत करते हुए कहा,” जेडीयू यूसीसी के खिलाफ नहीं है, लेकिन हम चाहते हैं कि इस मुद्दे पर आम सहमति बने। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2017 में यूसीसी पर विधि आयोग को एक पत्र लिखा था।”
यूसीसी पर बने आम सहमति: नीतीश कुमार
बता दें कि साल 2017 में अपने पत्र में नीतीश कुमार ने लिखा था,”सरकार को समान नागरिक संहिता लाने का प्रयास करना चाहिए। यह कोशिश स्थायी और टिकाऊ हो, इसके लिए व्यापक तौर पर आम सहमति बनानी चाहिए। इसे किसी आदेश द्वारा नहीं थोपा जाना चाहिए।” जेडीयू ने ये भी कहा है कि यूसीसी को किसी राजनीतिक साधन के रूप में नहीं, बल्कि सुधार के रूप में देखना चाहिए।
अग्निवीर योजना को लेकर मतदाता नाराज: केसी त्यागी
इससे पहले केसी त्यागी ने अग्निवीर योजना को लेकर प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था,”अग्निवीर योजना को लेकर मतदाता नाराज हैं। हमारी पार्टी चाहती है कि जिन कमियों पर जनता ने सवाल उठाए हैं, उन पर विस्तार से चर्चा की जाए और उन्हें दूर किया जाए।
उन्होंने आगे कहा,”यूसीसी पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर सीएम नीतीश कुमार ने विधि आयोग के प्रमुख को पत्र लिखा था। हम इसके खिलाफ नहीं हैं, लेकिन सभी हितधारकों से बात करके इसका समाधान निकाला जाना चाहिए।”