नरेंद्र मोदी 9 जून को तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं जवाहरलाल नेहरू के बाद वह दूसरे ऐसे नेता हैं, जो तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे हालांकि नरेंद्र मोदी के नाम एक और दिलचस्प रिकॉर्ड है वह है 24 साल में रिकॉर्ड 7 बार शपथ लेने का 4 बार मुख्यमंत्री पद और अब तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ
4 बार CM और तीसरी बार PM पद की शपथ
नरेंद्र मोदी अक्टूबर 2001 में 51 साल की उम्र में पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने और शपथ ली फिर दिसंबर 2002 में उन्होंने दूसरी बार सीएम पद की शपथ ली दिसंबर 2007 और दिसंबर 2012 में भी गुजरात के मुख्यमंत्री बने और शपथ ली कुल मिलाकर चार बार सीएम की शपथ ली फिर 2014 और 2019 में प्रधानमंत्री पद की शपथ ली अब एक बार फिर प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं
शपथ पर संविधान क्या कहता है?
भारत के संविधान में राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री, सांसद, विधायक आदि के शपथ का प्रावधान है संविधान के अनुच्छेद 75 में कहा गया है कि प्रधानमंत्री को राष्ट्रपित के सामने शपथ लेनी होगी अनुच्छेद 75 (4) में प्रधानमंत्री व मंत्रियों के शपथ का प्रारूप दिया दिया है इसी तरह अनुच्छेद 99 में संसद के सभी सदस्यों के शपथ से जुड़ा प्रावधान है
किस बात की शपथ लेते हैं?
संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति देश के नए प्रधानमंत्री को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाते हैं साथ ही मंत्रियों को भी शपथ दिलाते हैं पहले कैबिनेट मंत्रियों को फिर स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्रियों को और सबसे आखिर में राज्य मंत्रियों को शपथ दिलाई जाती है शपथ के दो हिस्से हैं पहला पद और दूसरा गोपनीयता का
पद की शपथ: प्रधानमंत्री अथवा मंत्री अपने पद की शपथ लेते हैं जिसमें भारत के संविधान के प्रति निष्ठा, देश की संप्रभुता, गरिमा बनाए रखने और अपने कर्तव्यों का ईमानदारीपूर्वक निर्वहन की शपथ लेते हैं
गोपनीयता: शपथ का दूसरा हिस्सा है गोपनीयता का इसमें PM और मंत्री शपथ लेते हैं कि उनके सामने जो गोपनीय मामले लाए जाएंगे अथवा उन्हें ज्ञात होगा, उसे गोपनीय रखेंगे कहीं जाहिर नहीं करेंगे
शपथ के बाद क्या होता है?
शपथ के बाद प्रधानमंत्री को एक प्रमाण पत्र जारी किया जाता है जिस पर शपथ लेने की तारीख और समय लिखा होता है इस पत्र पर पीएम के हस्ताक्षर भी होते हैं
क्या सांसदों को भी लेनी होती है शपथ?
यह जानना जरूरी है कि प्रधानमंत्री और मंत्री पद की शपथ लेने के बाद भी सभी सांसदों को अनिवार्य तौर लोकसभा सदस्य की भी शपथ लेनी पड़ती है इसका भी एक निर्धारित प्रारूप है
सांसद के शपथ का प्रारूप
”मैं (नाम) जो लोकसभा का सदस्य निर्वाचित हुआ हूं, ईश्वर की शपथ लेता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा तथा जिस पद को मैं ग्रहण करने वाला हूं, उसके कर्तव्यों का श्रद्धा पूर्वक निर्वहन करूंगा…”
संविधान विशेषज्ञ कहते हैं कि पद अथवा गोपनीयता की शपथ तोड़ने पर दो तरीके की कार्रवाई होती है पहला है राष्ट्रपति के केस में महाभियोग प्रधानमंत्री, मंत्री अथवा सांसद के केस में संसद से निलंबन, सदस्यता समाप्त करने जैसे कदम उठाए जा सकते हैं इसके अलावा आपराधिक मामलों में केस भी दर्ज हो सकता है दोषी करार होने के बाद दो साल से ज्यादा की सजा मिलती है तो सदस्यता छिन जाती है और चुनाव लड़ने पर भी रोक लग जाती है