पुलिस ने खदेड़ा, बेवा ने सीएम से लगायी न्याय की गुहार
बाराबंकी। कोतवाली फतेहपुर अन्तर्गत कस्बे में करीब 9 माह पूर्व हुए हादसे में एक ही परिवार के तीन सदस्यों सहित चार लोगों की मौत हो गयी थी। जिसमें एक व्यक्ति के मौत के साथ ही उसके चार मासूम बच्चे यतीम हो गये थे और इसकी पत्नी बेवा हो गयी थी। घर के मुखिया के मौत के बाद उनके परिजनों ने घर का सारा सामान अपने कब्जे में कर लिया और जो दुकाने बेवा के जीने का सहारा थी उन दुकानों पर भी बेवा की सास और देवरों ने जबरदस्ती कब्जा कर लिया। न्याय के लिए पीड़िता ने कोतवाली फतेहपुर में गुहार लगायी लेकिन कस्बा इंचार्ज ने पीड़िता को ही डरा धमका कर खदेड़ दिया। पीड़ित ने प्रदेष के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से न्याय की गुहार लगायी है। जानकारी के अनुसार, बीते वर्ष 4 सितम्बर को प्रातः 3 बजे कोतवाली फतेहपुर के नगर पंचायत फतेहपुर के मोहल्ला काजीपुर में रहने वाले मो. हासिम के घर में अचानक धमाका होता है धमाके में पूरा कस्बा दहषत में आ जाता है और कई मंजिला मकान पूरी तरह से ध्वस्त हो जाता है। बाद में जब पुलिस प्रषासन ने मौके पर पहुंचकर जेसीबी के माध्यम से मलबा हटाया तो मलबे में आफताब आलम उर्फ गुड्डू पुत्र मो. हासिम, दानिष पुत्र मो. हासिम, रोषनी पुत्री हासिम सहित पड़ोस के रहने वाले एक व्यक्ति की लाष बरामद होती है।
पुलिस प्रषासन ने धमाका किस कारण हुआ था इसकी तलाष में जुटी हुई थी लेकिन नतीजे तक कोतवाली फतेहपुर पुलिस नही पहुंच पायी और उक्त मामले को ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया। मो. हासिम के सबसे बड़े पुत्र अफताब आलम उर्फ गुड्डू जो घर का मुखिया था उसकी मौत के बाद उसकी पत्नी सारिनाबानों, 13 वर्षीय पुत्र महक, 12 वर्षीय पुत्री जैना फातिमा, 8 वर्षीय बिलाल और 5 वर्षीय मासूम इषा खातून के सिर से पिता का साया उठ गया था। सारिना ने पति के मौत के बाद से किसी तरह से अपने आपको सम्भाला और मासूमों की जिम्मेदारी अपने कंधो पर ले ली। कुछ माह तक सारिना की सास और देवर शांत रहे लेकिन कुछ माह पूर्व जब मो. हासिम की मौत हो गयी तो घर के सदस्यों ने अपना असली रंग दिखाना शुरु कर दिया। सारिना के कथनानुसार उसकी सास और उसके देवरों ने उनके पति के नाम की जो दो दुकाने थी उन दुकानों पर जबरदस्ती कब्जा कर लिया। दुकानों का सारा सामान बेच डाला बदले में उसको एक भी पैसा नही दिया गया। पीड़िता का यह भी कहना था कि सास और देवरों ने उसके सारे जेवरात भी अपने कब्जे में ले लिए और आयेदिन प्रताड़ित करने लगे और यह दबाव बनाने लगे कि वह अपने बच्चों को लेकर घर से निकल जाये।
पीड़िता ने इसकी षिकायत दो माह पूर्व कोतवाली फतेहपुर जा करके की थी और न्याय की गुहार लगायी थी। कोतवाली प्रभारी निरीक्षक ने उक्त मामले के निस्तारण के लिए कस्बा इंचार्ज को निर्देष दिए थे। कस्बा इंचार्ज के पास जब पीड़िता न्याय के लिए पहुंची तो कस्बा इंचार्ज ने पीड़िता की एक नही सुनी और उलटा ही पीड़िता को ही खरी खोटी सुनाने लगे। कस्बा इंचार्ज ने यहां तक कहा कि जब तक मैं यहां पर मौजूद हूं तुम्हारी एक नही सुनी जायेगी। जहां पर षिकायत करनी है जाकर करो। वहां से निराष होकर पीड़िता अपने घर पर आ गयी। सास और देवरों का इतना जुल्म था कि पीड़िता घुट घुटकर जीने को मजबूर हो गयी। यहां तक की इन लोगों ने पीड़िता के कमरे में क्या हो रहा है जबरदस्ती वहां पर एक सीसी टीवी कैमरा भी लगा दिया। पीड़िता चाहकर भी कुछ नही कर पायी। पीड़िता को घर और परिवार से किनारा करने के लिए पीड़िता के साथ में नगर पंचायत कार्यालय में जाकर परिवार रजिस्टर नकल बनवाने के लिए एक प्रार्थना पत्र दिया था जिसमें उसके साथ में मृतक आफताब आलम गुड्डू की पत्नी और उनके चार बच्चों को परिवार का सदस्य नही दिखाया था। यह तो अच्छा हुआ कि अधिषाषी अधिकारी और वहां के कर्मचारियों की नजर उक्त शपथ पत्र पर पड़ गयी और उस पर कोई लिखा पढ़ी नही की। अगर भूलवष कहीं उक्त कागजातों पर नगर पंचायत चेयरमैन और अधिषाषी अधिकारी के हस्ताक्षर हो जाते तो पीड़िता कहीं की न रहती। पीड़िता सारिना बानो ने बताया कि सबसे ज्यादा साजिष उसके एक देवर जो बसपा के नेता भी हैं उन्ही ने रच रखी है। इसके अलावा मेरे दो अन्य देवर भी मेरे विरुद्ध साजिषों पर साजिष रच रहे हैं। मैं बेवा महिला किसकी चौखट पर जाऊं तो मुझे न्याय मिल सके। पीड़िता ने प्रदेष के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से न्याय की गुहार लगायी है। आने वाला समय बतायेगा कि पीड़िता सारिना बानो उनके मासूमों को प्रषासन न्याय देता है या नही। अभी तो पीड़िता की सास और देवरों का कहर जारी है।