बदायूंः सपा सबसे आगे, गैर यादव ओबीसी मतों में सेंध से भाजपा भी पीछे नहीं मतदाताओं के मिजाज व मतदान के रुझान बता रहे हैं कि बदायूं संसदीय सीट पर सपा व भाजपा के बीच सीधी टक्कर है। बसपा मुख्य मुकाबले से बाहर नजर आ रही है। हालांकि, तीनों राजनीतिक दलों के उम्मीदवार व पदाधिकारी अपने दल को विजेता मान रहे हैं। भाजपा जिलाध्यक्ष राजीव कुमार गुप्ता का मनाना है कि हार-जीत 50,000 से 70,000 मतों से होगी। सपा जिलाध्यक्ष आशीष यादव का कहना है कि हार-जीत का अंतर 80,000 से एक लाख के भीतर ही रहेगा। बसपा जिलाध्यक्ष आरपी त्यागी की मानें तो जीत बसपा की होगी। अंतर कितना होगा, इसका सही आकलन उनके पास नहीं है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो हार-जीत का अंतर 30,000 से 40,000 मतों के बीच रहने की उम्मीद है। जीत का सेहरा सपा व भाजपा में से किसी एक उम्मीदवार के सिर पर बंधेगा। भाजपा की उम्मीद बसपा प्रत्याशी की बढ़त पर टिकी है। सपा से आदित्य यादव, भाजपा से दुर्विजय सिंह, बसपा से मुस्लिम खां समेत कुल 11 उम्मीदवारों के लिए 10,91,697 मतदाताओं ने सात मई को मतदान किया था। यहां प्रत्याशी बदलने का भी भाजपा को नुकसान होता दिख रहा है।
आंवलाः भाजपा-सपा में टक्कर, कम अंतर से होगी हार-जीत
आंवला लोकसभा सीट पर यूं तो बसपा के आबिद अली ने भी जोरशोर से चुनाव लड़ा है लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा प्रत्याशी धर्मेंद्र कश्यप और सपा के नीरज मौर्य के बीच माना जा रहा है। दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। चुनावी जानकार बता रहे हैं कि इस बार जीत-हार बेहद कम अंतर से ही होगी। क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी को एक वर्ग विशेष का विरोधी बताकर प्रचारित किया गया। उनके एक वीडियो बयान में उछाले गए जुमले को आधार बनाकर विरोधियों ने जो जाल बिछाया। बताया जा रहा है कि वह अपनी रणनीति में काफी हद तक कामयाब रहे हैं। हालांकि, धर्मेंद्र पिछला चुनाव रिकॉर्ड वोटों से जीत चुके हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि जीत भाजपा की होगी। सपा प्रत्याशी नीरज मौर्य और उनके समर्थक हर जाति व धर्म का वोट मिलने का दावा कर अपनी जीत पक्की मान रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक यहां मुकाबला दिलचस्प होगा। भाजपा को जहां सवर्ण मतदाताओं की नाराजगी से नुकसान हो रहा है, वहीं बाहरी प्रत्याशी होने की वजह से सपा भी बढ़त बनाने में नाकाम रही।