- कच्ची शराब व ताड़ी के धंधे पर आबकारी निरीक्षक मेहरबान
- अवैध कच्ची शराब कभी भी माल, इटौंजा क्षेत्र में मचा सकती है बड़ी तबाही
- पुलिस और आबकारी विभाग की उदासीनता कभी भी लोगों की जिंदगी पर पड़ सकती है भारी
- हर दिन बनाई जाती है सैकड़ों लीटर कच्ची शराब,बाद में सस्ती दर पर बेचने के लिए इसे किया जाता है पाउच में पैक
लखनऊ- राजधानी के माल, इटौंजा व बीकेटी क्षेत्र में कच्ची शराब बनाने का अवैध कारोबार कुटीर उद्योग का रूप लेता जा रहा है। यह अवैध शराब दुकानों पर मिलने वाली ब्रांडेड शराब की अपेक्षा काफी सस्ती होती है, जिससे लोग इसका अधिक मात्रा में सेवन करते हैं। पुलिस विभाग की शिथिलता से अवैध शराब के कारोबारियों का धंधा खूब फलफूल रहा है। इस बीच गर्मी में अब महुआ शराब के बीच ताड़ी का भी धंधा जोर पकड़ने लगा है। गर्मी के तीन महीने यह कारोबार किया जाता है। लोग कम खर्च में अधिक नशे के लालच में इसका जमकर उपयोग कर रहे हैं। जिससे लगातार उनकी जान से खिलवाड़ हो रहा है। इन दिनों दर्जनों गावों में हजारों ताड़ के पेड़ों से ताड़ी निकालने का काम किया जा रहा है। कच्ची शराब की तरह ही ताड़ी भी प्रतिबंधित मादक पदार्थ है।राजधानी का शायद ही ऐसा कोई इलाका होगा, जहां पर कच्ची शराब का धंधा न किया जा रहा हो। इसमें पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाएं और बच्चे भी जुटे रहते हैं। हर दिन सैकड़ों लीटर कच्ची शराब बनाई जाती है। बाद में सस्ती दर पर बेचने के लिए इसे पाउच में पैक किया जाता है।माल, इटौंजा व बीकेटी क्षेत्र में जगह-जगह अवैध शराब के अड्डे धड़ल्ले से चलाए जा रहे हैं। जिन पर खुलेआम धीमी मौत का सामान बिकता है। कच्ची शराब लोगों की जिंदगी में तबाही का जहर घोल रही है। बावजूद, सब जानकर भी जिम्मेदार बेखबर बने बैठे हैं। पुलिस और आबकारी विभाग की उदासीनता कभी भी लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ सकती है।
अवैध शराब के धंधे से जुड़े लोग कच्ची शराब बनाने के लिए पीने वालों की सेहत दांव पर लगाने से भी नहीं हिचकते हैं। कम कीमत पर ज्यादा नशा देने के लिए नाम मात्र के महुआ के साथ एक लीटर स्प्रिट से साढ़े तीन लीटर कच्ची शराब बनाने के लिए शराब में यूरिया, ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन व गुड़ का शीरा मिलाया जाता है। इससे तैयार देसी शराब को पॉलीथिन के पाउच में पैक कर सस्ती दर पर गांवों में बेचा जाता है। मिलावटी देसी शराब पीने से लीवर और गुर्दे के साथ-साथ आंखों की रोशनी और तंत्रिका तंत्र पर भी असर पड़ता है। इसका असर पीने वाले के शरीर पर इतना तेजी से होता है कि उन्हें समझ में नहीं आता और वह मिलावटी शराब के शिकार हो जाते है। कच्ची शराब की रोकथाम के लिए आबकारी विभाग द्वारा समय- समय पर अभियान चलाता है। जिससे लोगों अवैध शराब के सेवन से बचाया जा सकें। अवैध शराब के खिलाफ आबकारी विभाग सिर्फ कार्रवाई ही नहीं करता है, बल्कि इसके सेवन से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक भी करता है।क्योंकि सस्ती एवं मिलावटी शराब जानलेवा हो सकती है। भले ही इसके सेवन से व्यक्ति की तत्काल मौत न हो, मगर इसके सेवन से बहुत ही गंभीर बीमारी भी हो सकती है और बाद में यह घातक रूप ले लेती है। आबकारी विभाग अपनी मुहिम को और तेजी से चलाने के लिए कार्रवाई के साथ-साथ जागरुकता अभियान भी चला रहा है। जिसके लिए प्रचार-प्रसार के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का काम किया जा रहा है। मगर आबकारी विभाग की कार्रवाई के बाद भी कुछ अपने लालच के लिए मौत के ठेकेदार लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने से बाज नही आ रहे है। अवैध शराब के धंधे से जुड़े छोटे से लेकर बड़े माफिया को चिन्हित कर उन्हें सलाखों के पीछे भेजने का अभियान दम तोड़ रहा है। लखनऊ में 20 मई को लोकसभा चुनाव सकुशल संपन्न कराने के बाद आबकारी विभाग की मुहिम ठप्प हो गई है। ग्रामीण क्षेत्र में तैयार होने वाली अवैध महुआ शराब के कारोबार को खत्म करने के लिए आबकारी विभाग के जिम्मेदार अपनी आंखे बंद किए हुए हैं।
इन गांवों में धड़ल्ले से निर्माण एवं हो रही बिक्री
माल थानाक्षेत्र के रामनगर, बाजार गांव, अऊमऊ, राजगढ़, बघोलवा व कल्याणपुर