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हाथरस की विश्व में पहचान यहां की हींग और रंग गुलाल के लिए है। यह शहर हींग की मंडी के नाम से भी जाना जाता है। यहां हींग की छोटी-बड़ी कुल मिलाकर 60 फैक्ट्रियां हैं जिनसे हर वर्ष करीब 100 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। यहां से तैयार हींग विदेश में निर्यात होती है। यहां के गुलाल की भी काफी मांग है। गुलाब के इत्र का भी यहां बड़ा काम है। इसलिए इसे ‘रसनगरी’ भी कहते हैं।
बच्चों के रेडीमेड कपड़े भी यहां बड़ी तादाद में बनकर बाहर जा रहे हैं। इसकी भी हाथरस में करीब 60 से 70 फैक्ट्रियां हैं। करीब 19.30 लाख मतदाताओं वाली हाथरस लोकसभा सीट में सबसे अधिक करीब पौने तीन लाख क्षत्रिय हैं। ब्राह्मण मतदाता करीब दो लाख व जाट 1.96 लाख हैं। जाटव मतदाताओं की संख्या भी क्षत्रियों के बराबर करीब पौने तीन लाख है। भाजपा ने यहां योगी सरकार में राजस्व राज्यमंत्री अनूप प्रधान वाल्मीकि को उतारा है।
अनूप अलीगढ़ की खैर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। यहां के पांच विधानसभा क्षेत्र में से चार छर्रा, इगलास, हाथरस व सिकन्दराराऊ में भाजपा के विधायक हैं जबकि जाट बहुल सादाबाद में भाजपा की सहयोगी रालोद का कब्जा है। सपा व कांग्रेस गठबंधन से यहां जसवीर वाल्मीकि प्रत्याशी हैं। वह सहारनपुर के देवबंद के रहने वाले हैं। बसपा ने आगरा निवासी हेम बाबू धनगर को मैदान में उतारा है।
वह बसपा के काडर वोटबैंक के सहारे यहां जीत की राह तलाश रहे हैं। सादाबाद के जवाहर बाजार में बीज विक्रेता लकी वर्मा से जब चुनावी माहौल के बारे में पूछा गया तो दो टूक बोले ‘यहां तो भाजपा की किसी से टक्कर ही नहीं है। भाजपा हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ा रही है। उसने भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर अयोध्या में बनवा दिया।’
नगला मांधात के रहने वाले रामकुमार पचौरी कहते हैं ‘भाजपा ही सबसे आगे है, सपा तो यहां से सफा हो गई है।’ मुख्य बाजार में इलेक्ट्रानिक्स की दुकान चलाने वाले राकेश गोयल इस बात से खुश हैं कि भाजपा सरकार ने गुंडागर्दी पूरी तरह खत्म कर दी है। पहले यहां व्यापारियों से वसूली होती थी। योगीराज में अब ऐसा करने की किसी में हिम्मत नहीं बची है।’
आरा मशीन में काम करने वाले बुजुर्ग हनीफ कहते हैं ‘भाजपा सरकार अच्छी चल रही है। योजनाओं का लाभ व मुफ्त राशन भी मिल रहा है।’ फिर उनसे पूछा गया वोट किस पार्टी को देंगे, तो वह बोले ‘हम तो कांग्रेसी हैं, गठबंधन को ही वोट देंगे।’
चौधरी निजामुद्दीन चर्चा में शामिल होते हुए कहते हैं ‘यहां तो त्रिकोणीय लड़ाई है। बसपा भी इस बार जाटव वोट के साथ मुस्लिमों के वोट ले जाएगी।’ हाथरस के गुड़हाई बाजार में गल्ला व्यापारी प्रदीप कुमार वार्ष्णेय भी साफ कहते हैं ‘यहां की सीट तो भाजपा के वर्चस्व वाली है। प्रत्याशी कोई हो यहां वोट तो मोदी-योगी के नाम पर पड़ते हैं।’
वादे पूरे होने का इंतजार
‘अगर चुनावी वायदे पूर्ण करे सरकार, इंतजार के मजे सब हो जाएं बेकार…’ प्रसिद्ध हास्य कवि काका हाथरसी की इन पंक्तियों को हाथरस की जनता ने आत्मसात कर लिया है। यही वजह है कि ‘रसनगरी’ के लोग बगैर किसी गिले-शिकवे के पिछले साढ़े चार वर्ष से यहां बनने वाले मेडिकल कालेज का कागजों से निकलकर जमीन पर आने का इंतजार कर रहे हैं।
व्यापारी मदन मोहन कहते हैं ‘33 वर्ष से लगातार भाजपा यहां से जीत रही है, अब तो केंद्र व प्रदेश में सरकार भी है इसके बावजूद हाथरस में विकास की रफ्तार सुस्त है। घोषणा होने के साढ़े चार वर्ष बाद भी मेडिकल कालेज जमीन पर नहीं उतर सका।’ छर्रा निवासी विवेक सिंह व सासनी निवासी राजकुमार भी हाथरस में विकास की सुस्त रफ्तार से खिन्न हैं।
तीनों ही राजनीतिक दलों के प्रत्याशी बाहरी
भाजपा, सपा व बसपा तीनों ही दलों के प्रत्याशी बाहरी हैं। इसको लेकर मतदाताओं में नाराजगी भी है। हाथरस बाजार में ज्वेलर्स ईशू वार्ष्णेय कहते हैं ‘प्रत्याशी स्थानीय होना चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर मिला जा सके।’ इगलास के मुकेश भी स्थानीय प्रत्याशी की वकालत करते हैं। औसाफ कहते हैं ‘ यहां तीनों प्रत्याशी बाहरी हैं। जीतने के बाद कोई भी क्षेत्र में नहीं दिखेंगे।’
रोटी तो उलट-पलटकर ही अच्छी बनती है…
सिकन्दराराऊ के सूजिया निवासी सत्य प्रकाश जाटव कहते हैं ‘हमारे समाज का वोट तो हाथी पर ही पड़ेगा।’ मधुगढ़ी के हबीब व मो. शानू कहते हैं ‘भाजपा सरकार में महंगाई चरम पर पहुंच गई है। रोजगार भी यह सरकार नहीं दे पा रही है।’ चुनावी चर्चा में हिस्सा लेते हुए सूरज सिंह कहते हैं ‘भाजपा सरकार को अब हटना चाहिए क्योंकि रोटी उलट-पलटकर ही अच्छी बनती है। एक पार्टी ज्यादा समय तक रहती है तो उसमें तानाशाही आ जाती है।’