बदायूं। जिले में डबल डेकर बस व सफेद नंबर प्लेट ईको गाड़ियां के संचालन की भरमार रोडवेज के लिए मुसीबत बनी हुई हैं। इन ईको गाड़ियां में चालक भूसे की तरह सवारियां भरते हैं, जिसके बाद उन्हें तेज गति से चलाते है। इन वाहनों के कारण हादसे की आशंका भी बनी रहती है। पूर्व में भी कई बार हादसे होते रहे हैं, जिनमें लोग अकाल मौत के गाल में समा चुके हैं। इस समस्या से निजी बस संचालक भी रो रहे हैं खर्चा तक निकालना बहुत मुश्किल हो रहा हैं। क्योंकि डग्गामार वाहनों को संरक्षण देने वाले चाहे वह किसी सरकार में हो सिक्का अपना ही चलवाते हैं।वर्तमान में हालात यह हो गए हैं कि डबल डेकर , सफेद नंबर प्लेट ईको,टैक्सी,मैजिक पीले रंग के ऑटो पुलिस लाइंस चौराहा, इंद्रचौक, नवादा चौराहा, रोडवेज स्टैंड लबेला चौक, अंबेडकर पार्क,इस्लाममियां कालेज,शहर के कई स्थानों पर डबल डेकर बसों और डग्गामार के अवैध स्टैंड बने हुए है।जहां से दिल्ली और जयपुर,चंडीगढ़ हिमाचल, पंजाब रोड पर चलने वाली डबल डेकर बसों के संचालकों का हौंसला इतना बुलंद है। जैसे वह बाकायदा कंप्यूटरराइज़ टिकट देकर यात्रा कराते हैं। ट्रैफिक पुलिस की मेहरबानी से डबल डेकर बस बिना किसी परमिट के सरकारी राजस्व को चुना लगाकर धड़ल्ले से दौड़ रही हैं। डग्गामार वाहन जहां सरकार को राजस्व का चूना लगा रहे हैं, वहीं परिवहन विभाग को भी इनसे नुकसान उठाना पड़ रहा है। बावजूद इसके ट्रैफिक विभाग मौन बना हुआ है।
बरेली से बदायूं यह डग्गामार बसें व ईको गाड़ियां जब रोडवेज स्टैंड पर पहुंचती हैं तो यहाँ पर रोडवेज की सवारियों को इन्ही डग्गामार बसों में सवारी करने के लिए विवश किया जाता है,इसके लिए सीधे तौर पर डग्गामार बसों से रोजाना चार से पांच हजार रुपए की वसूली भी होती है। इसके अलावा गांव से दिल्ली को जाने वाली डग्गामार बसों शहर के विभिन्न चौराहे सैकड़ों की संख्या में निकलती है। जिस कारण सरकारी परिवहन विभाग को रोजाना हजारों के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
यह डग्गामार बसें ट्रैफिक विभाग की सह पर सरकारी नियमों को ताक पर रखकर मोटी कमाई कर रहे हैं। इन डग्गामार बसों के संचालन से सीधे तौर पर परिवहन विभाग प्रभावित हो रहा है।डग्गामार बसों के संचालन में एआरटीओ की भूमिका से इनकार नही किया जा सकता है।वहीं इन्हें रोकने की जहमत भी जिम्मेदार परिवहन विभाग नहीं उठा रहा है। सूत्रों की माने तो परिवहन विभाग को भी यह डग्गामार बसों के संचालकों द्वारा महीने में मोटी रकम पहुंचती है। इसी बजह से डग्गामार वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की कोई जहमत नहीं उठता है। परिवहन विभाग मुनासिब नही समझता। इतना ही नहीं कई बार तो परिवहन विभाग को ऐसे वाहनों की शिकायत तक की जाती फिर भी जानकारी न होने की बात कहकर परिवहन विभाग के अधिकारी पल्ला झाड़ लेते हैं, पल्ला झाड़ भी क्यों न ले जब महीने में मोटा चढ़ावा इन्ही डग्गामार बसों ईको गाड़ियां के संचालकों द्वारा परिवहन विभाग भेज दिया जाता है। इसी बजह से डग्गामार बस संचालकों के हौसले इस कदर बुलंद है कि वह ब्लैक लिस्टेड वाहनों को भी खुलेआम बदायूं से दिल्ली रूट पर दौड़ा रहे हैं एवं प्राइवेट बस अड्डा पर यही बसें रोडवेज की सवारियों को इन डग्गामार बसों में सफर करने के लिए विवश करते हैं, यात्री भी मजबूर होकर इन बसों में यात्रा करते हैं।
टीआई इंचार्ज जब डग्गामार वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करते है तो बदायूं से बरेली,दिल्ली तक दौड़ रही ट्रैफिक विभाग को मोटी रकम भेजने वाली डग्गामार बसों को छोड़ दिया जाता है। इस संबंध में एआरटीओ रामबचन से फोन से संपर्क किया गया तो फोन नहीं लगा।