फर्रुखाबाद। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा दूसरे नंबर पर रही थी। इस बार पार्टी को कोई दमदार चेहरा नहीं मिल रहा है। इससे समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी राहत महसूस कर रही हैं। हालांकि दोनों दलों के प्रत्याशी माहौल अपने पक्ष में करने को जुटे हैं, लेकिन उनकी नजर बसपा की गतिविधियों पर भी है।
बसपा प्रत्याशी के नाम का एलान होने के बाद दोनों दल अपनी चुनावी रणनीति बदलेंगे। बसपा ने पिछले चुनाव में पूर्व एमएलसी मनोज अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया था। तब बसपा के पास समाजवादी पार्टी का भी समर्थन था। अब बसपा मैदान में अकेले ताल ठोंकने को एड़ी चोटी का जोर लगाए है।
पूर्व प्रत्याशी मनोज अग्रवाल अब भाजपाई हो चुके हैं। बसपा की पहली पसंद ब्राह्मण अथवा मुस्लिम प्रत्याशी है, लेकिन दोनों वर्गों में कोई चर्चित चेहरा अभी नहीं मिल पाया है। इससे भाजपा व सपा दोनों दल राहत महसूस कर रहे हैं।
सपा ने नवल किशोर शाक्य को बनाया प्रत्याशी
समाजवादी पार्टी ने जहां डा. नवल किशोर शाक्य को प्रत्याशी बनाया है, वहीं भाजपा ने राजनीति के चतुर खिलाड़ी सांसद मुकेश राजपूत को फिर मौका दिया है। सपा व भाजपा चुनाव प्रचार में जुटी हैं, लेकिन वह बसपा की रणनीति की भी टोह ले रही हैं।
बसपा प्रत्याशी के सामने आने का इंतजार किया जा रहा है। ब्राह्मण प्रत्याशी आने पर जहां भाजपा को अपनी चुनावी रणनीति बदलनी होगी वहीं मुस्लिम प्रत्याशी आने पर समाजवादी पार्टी को अपना चुनावी गणित फिर से ठीक करना होगा।
भाजपाइयों का मानना है कि यदि बसपा ने कमजोर प्रत्याशी मैदान में उतारा तो उन्हें मुफ्त राशन व अन्य योजनाओं का लाभ बसपा के कैडर वोट में मिलेगा। इस कैडर वोट को अपने पक्ष में करने के लिए पार्टी अपने स्टार प्रचारकों को भी उतारेगी।
बसपा जिलाध्यक्ष वीर सिंह अंबेडकर ने बताया कि पार्टी पूरी दमदारी के साथ चुनाव लड़ेगी। इसकी तैयारी चल रही है, शीघ्र ही प्रत्याशी की घोषणा हो जाएगी।