जनपद में पांच से 16 वर्ष तक के बच्चों को लगेगा टीडी व डीपीटी का टीका

  • 10 नवंबर तक चलेगा विशेष टीकाकरण अभियान
  • बच्चों के अभिभावकों को टीकाकरण के लिए करें प्रेरित, उठाएँ लाभ

बलिया। डिप्थीरिया (गलघोंटू) की रोकथाम व बचाव के लिए स्कूल जाने वाले बच्चों को बुधवार से डिप्थीरिया-पर्ट्यूसिस-टिटनेस (डीपीटी) व टिटनेस-डिप्थीरिया (टीडी) का टीका लगाने का विशेष टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा। स्कूल आधारित यह विशेष टीकाकरण अभियान 10 नवंबर तक जनपद के समस्त सरकारी व निजी क्षेत्र के स्कूलों में चलेगा। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ विजय पति द्विवेदी ने दी।

सीएमओ ने बताया कि प्रदेश के कुछ जिलों में डिप्थीरिया बीमारी के मरीजों के प्रकाश में आने के कारण शासन द्वारा पूरे प्रदेश में यह अभियान चलाया जा रहा है। सीएमओ ने अपील की कि स्कूल के प्रधानाचार्य व अध्यापक इस अभियान में रुचि दिखाएं, जिससे यह अभियान शत-प्रतिशत सफल बनाया जा सके। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ अशोक कुमार ने बताया कि स्कूल आधारित टीकाकरण अभियान एक नवंबर से 10 नवम्बर के मध्य बुधवार एवं शनिवार को छोड़कर समस्त राजकीय एवं निजी स्कूलों में आयोजित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिला विद्यालय निरीक्षक से सहयोग हेतु संपर्क स्थापित कर लिया गया है। उप जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ शशि प्रकाश ने बताया कि कक्षा एक में अध्ययनरत पाँच वर्ष तक के बच्चों को डीपीटी सेकेंड बूस्टर डोज, कक्षा पाँच में अध्ययनरत 10 वर्ष तक के बच्चों को टीडी प्रथम डोज़, कक्षा 10 में अध्ययनरत 16 वर्ष तक के बच्चों को टीडी बूस्टर डोज़ से आच्छादित किया जायेगा। अभियान के दौरान पड़ने वाले नियमित टीकाकरण दिवसों (बुधवार व शनिवार) में सभी स्कूल न जाने वाले एवं अन्य डीपीटी सेकेंड बूस्टर, टीडी प्रथम एवं टीडी बूस्टर डोज़ वैक्सीन से छूटे हुये बच्चों को ड्यू टीके से आच्छादित किया जायेगा।

अपने बच्चों को डिप्थीरिया व टीडी का टीका जरूर लगवाएं-
डॉ शशि प्रकाश ने बताया कि डिप्थीरिया छोटे बच्चों का एक संक्रामक रोग है। यह अक्सर दो वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की आयु के बच्चों में अधिक होता है। यह बीमारी कॉरीनेबैक्टेरियम डिप्थीरिया नामक बैक्टीरिया के संक्रमण से होती है। यह बीमारी अक्सर बच्चों की पेंसिल, लेखनी आदि वस्तुओं को मुंह में रखने और कफ से दूसरे लोगों में फैलती है l यह बैक्टीरिया टांसिल व श्वांस नली को संक्रमित करता है। संक्रमण से झिल्ली बन जाती है जिससे सांस लेने में रुकावट पैदा होती है। कुछ मामलों में मौत भी हो जाती है। उन्होंने बताया कि डिप्थीरिया, पर्ट्युसिस (काली खांसी) और टिटनेस से अपने बच्चों को बचाने के लिए 16 से 24 माह पर इसकी पहली डोज़ और पाँच से छह वर्ष पर दूसरी या बूस्टर डोज़ अनिवार्य रूप से लगवाएं। इसके साथ ही टीडी यानि टिटनेस डिप्थीरिया से बचाव के लिए इसकी पहली डोज़ 10 वर्ष एवं दूसरी या बूस्टर डोज़ 16 वर्ष पर अनिवार्य रूप से लगवाएँ। ऐसा देखा गया है कि टीकाकरण के बाद कुछ बच्चों में बुखार और इंजेक्शन वाली जगह पर लालिमा या सूजन की दिक्कत हो सकती है । लेकिन यह सामान्य प्रतिक्रिया है और इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है। ऐसा होने पर एएनएम से सलाह अवश्य लें।

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