पहलगाम हमले पर रॉबर्ट वाड्रा की सफाई: बोले- पहले बयान को गलत समझा गया, अब सोच-समझकर दी प्रतिक्रिया

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में भयावह हमला हुआ. इस हमले के बाद बिजनेसमैन और कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा ने एक बयान दिया. उनके बयान पर सियासत छिड़ गई और विपक्ष ने उन्हें घेरना शुरू कर दिया. इसी के बाद अब वाड्रा ने अपने बयान पर सफाई पेश की है.

हाल ही में दिए बयान में वाड्रा ने पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा की और कहा कि जब भी सांप्रदायिक मुद्दे होते हैं और लोग असुरक्षित महसूस करते हैं, तो देश में विभाजन होता है और पड़ोसी देशों को इसका फायदा मिलता है. उन्होंने कहा कि राजनीति और धर्म को अलग करने का समय आ गया है और राजनीतिक दलों को आत्मचिंतन करना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि ये हमला संदेश देने की कोशिश हो सकती है कि देश के मुसलमान खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.

रॉबर्ट वाड्रा ने दी सफाई

अब इसी के बाद अपने बयान पर सफाई करते हुए वाड्रा ने कहा, मैं ये शब्द पूरी ईमानदारी और सच्चाई के साथ लिख रहा हूं. मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप इन्हें उसी ईमानदार भावना के साथ ग्रहण करें, जिस भावना से ये लिखे जा रहे हैं. यह साफ है कि मैंने जो कुछ शेयर किया, उसे उसके संपूर्ण संदर्भ में ठीक तरह से नहीं समझा गया. चूंकि मेरी बात की गलत व्याख्या की गई, इसलिए मैं समझता हूं कि उन्हें साफ करना मेरी जिम्मेदारी है.

“मौन रहकर फैसला किया”

रॉबर्ट वाड्रा ने आगे कहा, मैंने कुछ दिन मौन रहकर इंतजार करने का फैसला किया, लेकिन इसे खामोशी, उदासीनता या देशभक्ति की कमी न समझा जाए. असल में, अपने देश के प्रति मेरे गहरे प्रेम, सत्य के प्रति मेरे सम्मान और समर्पण के प्रति मेरी प्रतिबद्धता की वजह से ही मैंने बोलने से पहले चिंतन करने का समय लिया.

मौन वह पड़ाव है जहां जिम्मेदारी परिपक्व होती है, भावनाएं शांत होती हैं और शब्दों का चयन आवेग के बजाय सावधानी से किया जा सकता है.

बयान पर सफाई की पेश

रॉबर्ट वाड्रा ने कहा, मैं इस बारे में साफ करना चाहता हूं कि मेरे विचार क्या हैं: पहलगाम में जो आतंकवादी हमला हुआ, जिसमें निर्दोष लोगों की जान ली गई और उनके परिवार बिखर गए, उसकी मैं कड़ी से कड़ी निंदा करता हूं. मैं भारत के साथ खड़ा हूं और हमेशा खड़ा रहूंगा.

राजनीतिक, धार्मिक या वैचारिक – किसी भी रूप में ऐसा कोई तर्क नहीं है जिसके सहारे निर्दोष- निहत्थे लोगों के विरुद्ध हिंसा को माफ किया जा सके. मेरा मानना है कि किसी भी रूप में आतंकवाद न सिर्फ इंसानों पर बल्कि समूची इंसानियत की आत्मा पर हमला है. यह हर इंसान के भयमुक्त जीवन जीने के बुनियादी अधिकार को खत्म कर देता है.

निर्दोष लोगों के खून बहाने के कृत्य को जायज ठहराने के लिए कोई भी कारण, कोई भी तर्क उचित नहीं हो सकता. जिनका जीवन छिन गया, जिनका भविष्य छिन गया, जिनके दिल अकल्पनीय दुख से भर गए हैं – उन सबके लिए मैं शोक व्यक्त करता हूं और मैं सभी से महात्मा गांधी जी की सीख को याद करने का आग्रह करता हूं – उन्होंने कहा था कि अहिंसा सबसे साहसी विकल्प होता है. हमारे देशवासियों का दुख हमारा अपना दुख है. आज इस दुख की घड़ी में एक ऐसी दुनिया बनाने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त करता हूं जहां कोई भी बच्चा, कोई भी परिवार, कोई भी समुदाय आतंक के साये में न रहे.

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