
हर साल 25 अप्रैल को मनाया जाने वाला विश्व मलेरिया दिवस (World Malaria Day) मलेरिया के खिलाफ वैश्विक जागरूकता बढ़ाने, रोकथाम उपायों को प्रोत्साहित करने और इस बीमारी के उन्मूलन के लिए आवश्यक प्रयासों को रेखांकित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
इतिहास और स्थापना
विश्व मलेरिया दिवस की शुरुआत 2007 में हुई थी, जब विश्व स्वास्थ्य सभा (World Health Assembly) के 60वें सत्र में इसे औपचारिक रूप से मान्यता दी गई। इससे पहले, 2001 में अफ्रीका मलेरिया डे की शुरुआत हुई थी, जो 2007 तक अफ्रीकी देशों द्वारा मनाया जाता था।
महत्व
जागरूकता फैलाना: मलेरिया के लक्षण, रोकथाम और उपचार के बारे में जानकारी प्रदान करना।
वैश्विक प्रयासों को एकजुट करना: सरकारों, स्वास्थ्य संगठनों और समुदायों को एक साथ लाना।
निवेश और संसाधनों की आवश्यकता: मलेरिया उन्मूलन के लिए आवश्यक वित्तीय और मानव संसाधनों की आवश्यकता को रेखांकित करना।
2025 की थीम
यह थीम मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में निरंतर निवेश, नवाचार, सहयोग और वैश्विक प्रतिबद्धता की आवश्यकता को उजागर करती है।
भारत में मलेरिया का परिदृश्य
भारत में मलेरिया के मामले 2015 से 2022 के बीच 85.1% तक घटे हैं।
मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में भारत ने महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में अभी भी चुनौतियाँ मौजूद हैं।
मलेरिया से बचाव के उपाय
मच्छरदानी का उपयोग करें।
मच्छरनाशक का छिड़काव करें।
स्वच्छता बनाए रखें और पानी जमा होने से रोकें।
मलेरिया के लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करें।
विश्व मलेरिया दिवस हमें याद दिलाता है कि मलेरिया एक गंभीर समस्या है, लेकिन सही प्रयासों और सहयोग से इसे समाप्त किया जा सकता है।