वक्फ कानून को लेकर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में हंगामा, मुस्लिम समुदाय के मुद्दों पर समझौते का आरोप

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सोमवार को जोरदार हंगामा देखने को मिला है. दरअसल, विपक्षी विधायकों ने वक्फ संशोधन अधिनियम पर स्थगन प्रस्ताव को अनुमति न देने पर स्पीकर के खिलाफ प्रदर्शन जमकर प्रदर्शन किया. हंगामे को लेकर स्पीकर अब्दुल रहीम राथर का कहना है कि जो भी मामला कोर्ट में विचाराधीन है, से स्थगन के लिए नहीं लाया जा सकता है.यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में है और मुझे इसकी एक प्रति मिली है सलिए नियम स्पष्ट रूप से कहता है कि हम स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से चर्चा नहीं कर सकते.

पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘यह बेहद निराशाजनक है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा के अध्यक्ष ने वक्फ विधेयक पर प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. मजबूत जनादेश हासिल करने के बावजूद, सरकार पूरी तरह से बीजेपी के मुस्लिम विरोधी एजेंडे के आगे झुक गई है और दोनों पक्षों को खुश करने की कोशिश कर रही है. नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) तमिलनाडु की सरकार से सीख ले सकती है, जिसने वक्फ विधेयक का दृढ़ता से विरोध किया है. जम्मू-कश्मीर एकमात्र मुस्लिम बहुल क्षेत्र है, जहां ये चिंताजनक है कि कथित रूप से जन-केंद्रित सरकार में इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर बहस करने का भी साहस नहीं है.’

स्पीकर की ओर से स्थगन प्रस्ताव को अस्वीकार किए जाने के बाद पीडीपी नेता वहीद पारा ने कहा, “जब अनुच्छेद 370 और सीएए कोर्ट में थे तब हम प्रस्ताव लाए थे, कई राज्य लाए थे और आज हम वक्फ बिल के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराना चाहते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से स्पीकर ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया. वे मिक्स मैच खेल रहे हैं. आज इस बिल का विरोध न करके यह दिखाया गया है कि जम्मू-कश्मीर सरकार कश्मीर और मुसलमानों के मुद्दों पर समझौता कर रही है.’

ये मुसलमानों का धार्मिक मामला- वहीद पारा
उन्होंने कहा, ‘इस्लामिक धार्मिक संपत्तियां हमारे पूर्वजों द्वारा छोड़ी गई विरासत हैं और यह मुसलमानों का धार्मिक मामला है. मुसलमानों को शामिल किए बिना मुसलमानों के लिए निर्णय लेना और कानून पारित करना सही नहीं है. मुस्लिम समुदाय के सभी सदस्यों ने इस बिल का खुलकर विरोध किया है. वक्फ संपत्तियों को महज संपत्ति के रूप में देखना गलत है. यह आस्था का मामला है और इसके साथ उसी तरह व्यवहार किया जाना चाहिए.’

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