
कन्नौज। तीन साल पहले मरीजों के सुनने की क्षमता की जांच के लिए जिला अस्पताल में साउंड प्रूफ कक्ष बनाया गया, जिसे बेरा जांच कहते हैं। कक्ष में तब से आज तक ताला लगा हुआ है और मरीजों को जांच के लिए 14 किलोमीटर दूर राजकीय मेडिकल काॅलेज की दौड़ लगानी पड़ रही है। वहीं, जिम्मेदार इस मामले में बचते नजर आ रहे हैं।
राष्ट्रीय बधिरता निवारण एवं नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जिले में बहरेपन के इलाज के लिए वर्ष 2022 में जिला अस्पताल में साउंड प्रूफ कक्ष के निर्माण को शासन ने मंजूरी दी थी। इसके बाद ओपीडी में दो कक्षों को खाली करा दिया गया। साउंड प्रूफ कक्ष तैयार कराया गया। कक्ष तैयार होने के बाद से उसमें ताला लगा हुआ है। ऐसे में मरीजों के सुनने की क्षमता की जांच के लिए ईएनटी डॉ. मोनिका सचान को मरीजों को मेडिकल कॉलेज रेफर करना पड़ रहा है। वहां पर भी सप्ताह में दो दिन ही जांच होती है, ऐसे में मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्हें दूसरे जिलों की दौड़ लगानी पड़ती है।
मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया
केस एक : तिर्वा की रहने वाली 85 वर्षीय मिथलेश सोमवार को जिला अस्पताल कान की जांच कराने पहुंचीं, जहां पर डॉक्टर ने बेरा जांच की सलाह दी। उन्हें राजकीय मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया।केस दो : शहर के मकरंदनगर के रहने वाले आठ वर्षीय तनय पटेल को सुनाई कम पड़ रहा था। परिजन उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टर ने बेरा जांच की सलाह दी, लेकिन अस्पताल में सुविधा न होने के चलते उन्हें रेफर कर दिया गया।राष्ट्रीय बधिरता बचाव एवं रोकथाम कार्यक्रम के तहत जिला अस्पताल में साउंड प्रूफ कक्ष तैयार कराया गया था। कक्ष तैयार हुए काफी समय बीत गया है, लेकिन मशीनें अभी तक उपलब्ध नहीं कराई गई हैं। इस कारण मरीजों के सुनने की क्षमता की जांच नहीं हो पाती है।