Jaunpur News: दीपावली पर लिए थे सैंपल, होली तक भी नहीं आई रिपोर्ट…

खाद्य विभाग ने दिवाली के दौरान जिले की विभिन्न दुकानों से 61 खाद्य पदार्थों के नमूने लिए थे, लेकिन उनकी रिपोर्ट होली के बाद तक आने की उम्मीद नहीं है। इस देरी के कारण मिलावटखोरी और स्वास्थ्य की अनदेखी के मुद्दे पर सवाल उठ रहे हैं। खाद्य विभाग के अनुसार, प्रदेश में लैब की कमी के कारण रिपोर्ट आने में समय लग रहा है। खाद्य सुरक्षा विभाग ने दिसंबर और जनवरी में कई दुकानों से बड़ी मात्रा में मिलावटी खोवा और पनीर पकड़ा था। इसके अलावा, दूध, तेल समेत अन्य खाद्य पदार्थों के 28 नमूने जांच के लिए भेजे गए थे। इनमें से 13 नमूने मानक पर खरे नहीं उतरे। खासकर, पनीर और खोवा के नमूने फेल हो गए। पनीर के 8 में से 4, खोवा के 5 में से 4 और दूध के 5 नमूने फेल हो गए हैं।

Jaunpur News : खाद्य विभाग ने दिवाली के दौरान जिले की विभिन्न दुकानों से 61 खाद्य पदार्थों के नमूने लिए थे, लेकिन उनकी रिपोर्ट होली के बाद तक आने की उम्मीद नहीं है। इस देरी के कारण मिलावटखोरी और स्वास्थ्य की अनदेखी के मुद्दे पर सवाल उठ रहे हैं। खाद्य विभाग के अनुसार, प्रदेश में लैब की कमी के कारण रिपोर्ट आने में समय लग रहा है। खाद्य सुरक्षा विभाग ने दिसंबर और जनवरी में कई दुकानों से बड़ी मात्रा में मिलावटी खोवा और पनीर पकड़ा था। इसके अलावा, दूध, तेल समेत अन्य खाद्य पदार्थों के 28 नमूने जांच के लिए भेजे गए थे। इनमें से 13 नमूने मानक पर खरे नहीं उतरे। खासकर, पनीर और खोवा के नमूने फेल हो गए। पनीर के 8 में से 4, खोवा के 5 में से 4 और दूध के 5 नमूने फेल हो गए हैं।

यह वे नमूने हैं जो मिठाई की दुकानों से संदेह के आधार पर लिए गए थे। इस मामले में अब खाद्य विभाग ने मिलावट करने वाले दुकानदारों के खिलाफ एडीएम कोर्ट में वाद दाखिल किया है। विभाग का कहना है कि जिले में करीब 1500 मिठाई की दुकानें हैं, जहां खोवा से बनी मिठाइयां बिकती हैं, लेकिन इतनी बड़ी मात्रा में खोवा का उत्पादन नहीं हो सकता। इसे अन्य शहरों से मिलावटी खोवा मंगाया जाता है, जिससे स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा होता है। इस मामले ने खाद्य विभाग की लेटलतीफी और स्वास्थ्य सुरक्षा के सवालों को और गंभीर बना दिया है। अब, विभाग को इस पर तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता है ताकि आम जनता को मिलावटखोरी से बचाया जा सके।

आधी कीमत पर मिलता है खोवा-खोवा दूध का ठोस पदार्थ है। एक लीटर दूध को वाष्पित होने तक उबालें तो केवल 200 ग्राम ठोस पदार्थ बचता है, जिसे खोवा कहा जाता है। दूध और कारीगर का खर्च मिलाकर इसका खर्च 550 से 600 रुपये प्रति लीटर आता है, जबकि बाजार में यह 280 से 320 रुपये किलो मिलता है। होली और दीपावली के समय इसकी बिक्री अधिक होती है। त्योहारों में बढ़ जाता है दूध का दाम-लगन और विशेष त्योहारों में दूध की खपत अधिक होने के कारण दाम भी बढ़ जाता है। ऐसे में मांग अधिक होने से केमिकल मिश्रित दूध बाजारों में आयात किया जाता है। रंग सामान्य होने से लोगों को समझ में नहीं आता है। मिलावटी दूध सेहत को नुकसान पहुंचाता है।

लैब की की कमी से रिपोर्ट में देरी-खाद्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक पूरे प्रदेश में कुल पांच लैब हैं। यहां जांच के लिए नमूनों को भेजा जाता है। सभी 75 जिलों से नमूने जाने के कारण जांच में देरी होती है। इसलिए रिपोर्ट में देरी होती है। होली के पहले अभियान चलाएंगे। दुकानदार मिलावट करते पाया गया तो उसका सामान जब्त करने के साथ ही उसके खिलाफ मुकदमा करेंगे। सेहत से खिलवाड़ होने नहीं दिया जाएगा।

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