देश-दुनिया के इतिहास में 07 जून की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। इस तारीख का महत्व अजीम पत्रकार और फिल्मकार ख्वाजा अहमद अब्बास जीवन से जुड़ा है। उनका जन्म ख्वाजा 07 जून,1914 को पानीपत (हरियाणा) में एक क्रांतिकारी परिवार के घर हुआ था।
वह प्रसिद्ध फिल्म निर्माता, पटकथा लेखक, उपन्यासकार, नाटककार और पत्रकार थे। उन्हें ‘धरती के लाल’, ‘परदेसी’, ‘सात हिन्दुस्तानी’, ‘दो बूंद पानी’ जैसी पुरस्कार विजेता फिल्मों के निर्देशन के लिए जाना जाता है। उनके दादा ख्वाजा गुलाम अब्बास 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक थे, जिन्हें अंग्रेजों ने तोप से बांधकर शहीद कर दिया था।
ख्वाजा अहमद अब्बास ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अलीगढ़ के हाली मुस्लिम हाईस्कूल से की थी। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से बीए और एलएलबी किया। इसके बाद वह बॉम्बे क्रॉनिकल का हिस्सा बने और यहां संवाददाता और फिल्म समीक्षक के रूप में काम किया। उनका साप्ताहिक ‘ब्लिट्ज’ में ‘लास्ट पेज’ नाम से कॉलम आने लगा।1935 से शुरू होकर कॉलम 1947 तक चला। बाद में उन्होंने ‘ब्लिट्ज’ ज्वाइन किया और वहां भी यह कॉलम चलता रहा। उर्दू में यह ‘आजाद कलम’ नाम से आता था। यह पत्रकारिता के इतिहास में सबसे ज्यादा समय (1987) तक प्रकाशित होने वाला कॉलम है।
पत्रकारिता के बाद उन्होंने फिल्मों का रुख किया। वह पहले फिल्मों के लिए लिखा करते थे। 1935 में उन्होंने अपनी पहली फिल्म ‘धरती के लाल’ बनाई। इस फिल्म की कहानी बंगाल के अकाल पर बनी थी, जिसे कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में सराहना मिली। यह फिल्म पूरे सोवियत यूनियन में दिखाई गई और कई देश की लाइब्रेरी में भी इसे जगह मिली। 1951 में उन्होंने ‘नया संसार’ नाम से खुद की कंपनी खोली। 35 वर्ष के अपने करियर में उन्होंने सबसे ज्यादा फिल्मों पर काम राजकपूर के साथ किया। इनमें ‘आवारा’, ‘श्री 420’, ‘जागते रहो’, ‘मेरा नाम जोकर’ और ‘बॉबी’ शामिल हैं। अमिताभ बच्चन को भी ख्वाजा अहमद अब्बास ने ही ‘सात हिंदुस्तानी’ में मौका दिया था। बिग बी उन्हें मामू कहकर बुलाया करते थे।
अपनी मृत्यु से पहले उन्होंने एक वसीयत में लिखा- ”मेरा जनाजा यारों के कंधों पर लेजिम बैंड के साथ जुहू बीच स्थित गांधी स्मारक तक ले जाएं।अगर कोई खिराज-ए-अकीदत पेश करना चाहे और तकरीर करे तो उनमें सरदार जाफरी जैसा धर्मनिरपेक्ष मुसलमान हो, पारसी करंजिया हो या कोई रौशनख्याल पादरी हो वगैरह। मैं मर जाऊंगा तब भी आपके बीच रहूंगा। अगर मुझसे मुलाकात करनी है, तो मेरी किताबें पढ़ें और मुझे मेरे ‘लास्ट पेज’ और मेरी फिल्मों में खोजें। मैं और मेरी आत्मा इनमें ही हैं। इनके माध्यम से मैं हमेशा आपके बीच, आपके पास रहूंगा।”
महत्वपूर्ण घटनाचक्र
1539ः बक्सर के निकट चौसा की लड़ाई में शेरशाह सूरी ने मुगल बादशाह हुमायूं को हराया।
1557-इंग्लैंड ने फ्रांस के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।
1780ः लंदन में एंटी कैथोलिक दंगों में लगभग 100 लोगों की मौत।
1893ः-महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में पहली बार सविनय अवज्ञा का प्रयोग किया।
1971ः विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान से लगे भारत के सीमावर्ती इलाकों में हैजा से तीन हजार लोगों की मौत की पुष्टि की।
1975ः राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार को राष्ट्रीय फिल्म उत्सव में बदला गया और कमल के फूल का इसका चिह्न बनाया गया।
1979ः भारत का दूसरा उपग्रह भास्कर प्रथम सोवियत संघ के बीयर्स लेक से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया।
1995ःअमेरिका के नार्मन थैगार्ड अंतरिक्ष की कक्षा में सबसे लम्बे समय तक रहने वाले अंतरिक्ष यात्री बने।
1997ः महेश भूपति ग्रैंड स्लैम टेनिस खिताब जीतने वाले पहले भारतीय बने।
2000ः एक अमेरिकी अदालत ने माइक्रोसॉफ्ट कंपनी को दो भागों में बांटने का निर्देश दिया।
2004ः इजराइली मंत्रिमंडल ने गाजा क्षेत्र से बस्तियां हटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी।
2006ः नेपाल के आर्थिक पुनर्निर्माण के लिए भारत ने एक अरब रुपये देने का निर्णय लिया।
2007ः अमेरिका ने सऊदी अरब के राजदूत रहे प्रिंस बांदरे बिन सुल्तान के हथियारों की दलाली में करोड़ों पाउंड के घोटाले का खुलासा किया।
2013ः चीन के शियामेन में एक बस में आग लगने से 42 लोगों की मौत।
2014ः मारिया शारापोवा ने फ्रेंच ओपन महिलाओं का टेनिस जीता।
2016ः इस्तांबुल के केंद्रीय पुलिस पर कार बम हमले में 11 लोग मारे गए।
जन्म
1914ः प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक और पटकथा ख्वाजा अहमद अब्बास।
1974ः टेनिस के खेल में भारत का नाम दुनियाभर में रोशन करने वाले महेश भूपति।
1998ः भारत के भाला फेंक पैरा एथलीट सुमित अंतिल।
निधन
1631ःमुगल बादशाह शाहजहां की पत्नी मुमताज बेगम।
1954ः अंग्रेज गणितज्ञ और कम्प्यूटर वैज्ञानिक एलेन ट्यूरिंग।
2002ः भारत के पूर्व कार्यवाहक राष्ट्रपति बीडी जत्ती।