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नई दिल्ली। एनसीआर में वायु गुणवत्ता में अगले वर्ष तक सुधार के संबंध में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में विस्तृत योजना रिपोर्ट दाखिल की है। हालांकि, योजना बनाने से लेकर क्रियान्वयन की जिम्मेदारी राज्यों पर डालने के आयोग के तर्क पर एनजीटी ने गंभीर सवाल उठाया है। एनजीटी ने कहा कि सीएक्यूएम की ओर से पेश किए चार्ट को देखने से पता चलता है कि अधिकांश कार्रवाई योजना के निर्माण और दिशानिर्देश बनाने से संबंधित है।
हालांकि, आयोग ने उसे दी गईं शक्तियों पर उचित ध्यान दिए बगैर जिम्मेदारियां अलग-अलग एजेंसियों पर डाल दी है।
सीएक्यूएम को उसकी शक्तियां याद दिलाते हुए एनजीटी चेयरमैन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य सुधीर अग्रवाल, न्यायिक सदस्य अरुण कुमार त्यागी व पर्यावरण सदस्य डॅा.अफरोज अहमद की पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र व निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग एक्ट की धारा-तीन के तहत आयोग का गठन किया गया है।
एनजीटी ने कहा कि धारा-तीन की उपधारा-छह के संदर्भ में आयोग को विशेष शक्तियां दी गई हैं।
इतना ही नहीं अधिनियम की धारा- 14 और 15 के तहत आयोग के पास भारी जुर्माना लगाने का भी अधिकार है। एनजीटी ने उक्त टिप्पणी वायु प्रदूषण की स्थिति का स्वत: संज्ञान लेकर शुरू की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान सीएक्यूएम की ओर से पेश की गई रिपोर्ट का अवलोकन करते हुए की।