-योगी सरकार ने संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए शुरू की थी योजना
-पांचवें सत्र में पिछले वर्ष की तुलना में डेढ़ गुना से अधिक आये आवेदन
-चौथे सत्र में आये थे 960 आवेदन, 26 और 27 सितंबर को होगी प्रवेश परीक्षा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के पांचवें सत्र में पिछले वर्ष की तुलना में डेढ़ गुना से अधिक आवेदन आए हैं। इस वर्ष सिविल सेवा निशुल्क कोचिंग में प्रवेश के लिए 1476 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है जबकि पिछले वर्ष 960 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। संस्थान ने प्रवेश के लिए अभ्यर्थियों से 1 अगस्त से ऑनलाइन आवेदन पत्र मांगे थे, जो 31 अगस्त तक चली। वहीं पांचवें सत्र की प्रवेश परीक्षा 26 और 27 सितंबर को आयोजित की जाएगी। इसके बाद साक्षात्कार का आयोजन किया जाएगा। वहीं, अक्टूबर में पांचवें सत्र की शुरुआत कर दी जाएगी। जानकारी के अनुसार जिन विद्यार्थियों ने यूपीएससी या राज्यों की सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा-23 उत्तीर्ण की है उन्हें सीधा प्रवेश दिया जाएगा। मालूम हो कि योगी सरकार की संस्कृत को बढ़ावा देने की पहल का ही नतीजा है कि लोगों का संस्कृत की ओर रुझान बढ़ने लगा है। लोग संस्कृत पढ़ने और सीखने के साथ-साथ इसमें रोजगार के प्रति भी रुचि लेने लगे हैं। खासतौर पर सिविल सेवा के लिए संस्कृत की मांग बढ़ने लगी है। योगी सरकार द्वारा संचालित सिविल सेवा निशुल्क कोचिंग एवं मार्गदर्शन योजना का लाभ उठाकर पिछले चार वर्षों में राज्य सिविल सेवा परीक्षा में 13 अभ्यर्थी उच्च स्थान प्राप्त करते हुए डिप्टी कलेक्टर से लेकर डिप्टी एसपी पद पर चयनित हुए हैं। इसके अलावा सब-अॉर्डिनेट सर्विसेज में कुल 19 अभ्यर्थी चयनित हुए हैं। वहीं, लाखों की संख्या में युवा ऑनलाइन के जरिए संस्कृत भाषा सीख रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी की इस पहल का प्रदेश के युवा ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्य के युवा भी लाभ उठा रहे हैं।
पांचवें सत्र के लिए मांगे गये थे ऑनलाइन आवेदन
उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के निदेशक विनय श्रीवास्तव ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने, संस्कृत साहित्य को रोजगारपरक बनाने एवं प्रशासन में सहभागिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से पिछले चार वर्षों से विभाग की ओर से फ्लैगशिप कार्यक्रम सिविल सेवा निशुल्क एवं प्रशिक्षण मार्गदर्शन का अायोजन किया जा रहा है। इसी के तहत पांचवें सत्र के लिए आवेदन पत्र मांगे गये थे। पूरा सत्र 10 माह का होता है, जिसमें प्रशिक्षण तीन चरणों में पूरा किया जाता है। विशेषज्ञों की ओर से इसमें व्याकरण, भाषाशास्त्र, दर्शन, महाकाव्य, संस्कृत नाट्यशास्त्र, संस्कृत गद्य एवं पद्य आदि की पढ़ाई कराई जाती है। यूजीसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक या फिर समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके 21 से 35 वर्ष आयु के सभी वर्ग के अभ्यर्थी इस योजना के पात्र हो सकते हैं।
सिविल सेवा में संस्कृत चुनने वालों को सीधे मिलेगा प्रवेश
प्रवेश परीक्षा में अभ्यर्थियों से सामान्य अध्ययन एवं सामान्य संस्कृत ज्ञान विषय पर आधारित वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे जाएंगे, जो 100 प्रश्न संस्कृत और हिंदी के होते हैं एवं 85 प्रश्न सामान्य अध्ययन और 15 प्रश्न संस्कृत के सामान्य ज्ञान, व्याकरण एवं साहित्य से संबंधित होंगे। इसके अलावा, ऐसे अभ्यर्थी जिन्होंने वर्ष 2022-23 में संघ लोक सेवा आयोग एवं राज्य लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा में ऐच्छिक विषय के रूप में संस्कृत विषय को चुना हो, उन्हे सीधे प्रवेश दिया जाएगा। इनकी अधिकतम संख्या 13 ही रहेगी। इतना ही नहीं, सिविल सेवा निशुल्क कोचिंग के अभ्यर्थियों को तीन हजार छात्रवृत्ति भी दी जाती है। इसके लिए अभ्यर्थियों की क्लास में 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है। साथ ही, छात्रवृत्ति के लिए उनकी मासिक प्रगति रिपोर्ट का भी आंकलन किया जाता है। अभ्यर्थी को 3000 रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी। साथ ही, संस्कृत साहित्य और सामान्य अध्ययन की निशुल्क पाठ सामग्री प्रदान की जाएगी। अब तक कुल 200 विद्यार्थियों को सिविल सेवा की कोचिंग दी जा चुकी है।