लखनऊ । उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पूर्वांचल में जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) जैसी खतरनाक बीमारियों को नियंत्रित करने के बाद अब फाइलेरिया के उन्मूलन में जुट गई है। योगी सरकार के निर्देश पर सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान के तहत प्रदेश के विभिन्न जिलों में लोगों के घर-घर जाकर फाइलेरिया रोधी दवा खिलाई जा रही है। अभियान के शुरुआती चार दिनों में ही करीब 20 प्रतिशत लोगों ने दवा का सेवन कर लिया है। यह अभियान 28 फरवरी तक चलेगा।वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वास्थ्य टीम से अपील की है कि लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रदेशवासियों को सिर्फ दवा न खिलाएं बल्कि जागरूक भी करें।
चार दिन में 20 प्रतिशत लोगों ने खा ली फाइलेरिया रोधी दवा
फाइलेरिया के राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ. रमेश सिंह ठाकुर ने बताया कि एमडीए अभियान में कुल 3,60,25,891 लोगों को दवा खिलाने का लक्ष्य तय किया गया है। इसके सापेक्ष सिर्फ चार दिन में ही 66 लाख 14 हजार 589 यानि करीब 20 प्रतिशत लोगों ने फाइलेरियारोधी दवा खा ली है। फाइलेरिया यानि हाथीपांव एक लाइलाज बीमारी है। इस संक्रमण में लसीका तंत्र पूरी तरह प्रभावित हो जाता है। लसीका तंत्र वाहिकाओं, अंगों और विशेष कोशिकाओं का एक नेटवर्क होता है। इसके लक्षण आने में 10-15 वर्ष लग जाते हैं। इसे छुपायें नहीं। आयुष्मान आरोग्य मंदिर या सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर संपर्क करें और योगी सरकार की योजनाओं का लाभ उठाएं। बता दें कि प्रदेश में 51 फाइलेरिया प्रभावित जिले हैं। वर्तमान में इसमें से 17 जनपदों में यह अभियान चलाया जा रहा है।
दवा खाने पर सिर और शरीर में दर्द, बुखार हो तो न हों परेशान
डॉ. रमेश सिंह ठाकुर ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न जिलों के लोग फाइलेरियारोधी दवा खाने के साथ इस बीमारी के प्रति अपनी जानकारी भी बढ़ा रहे हैं। अमेठी, आजमगढ़, बलिया या बाराबंकी में कई स्थानों पर लोगों ने दवा के प्रतिकूल प्रभाव के बारे में जानने के लिए काफी उत्साह दिखाया। यह भी जानना चाहा कि दवा खाने के बाद सिर दर्द या चक्कर कैसे, कितना और क्यों आता है। अगर दवा खाली पेट खा लें तो क्या दवा बेअसर रहेगी ? स्वास्थ्य टीम लोगों को बता रही है कि फाइलेरियारोधी दवा पूर्ण रूप से सुरक्षित है। वहीं कभी-कभी दवा का सेवन करने के बाद सिर और शरीर में दर्द, बुखार, उल्टी तथा बदन पर चकत्ते एवं खुजली देखने को मिलती है, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। यह लक्षण आमतौर पर स्वतः ठीक हो जाते हैं। यह दवा खाली पेट नहीं खानी है। कुछ खाकर ही फाइलेरियारोधी दवा खाएं।वहीं लखनऊ, उन्नाव, शाहजहांपुर, बरेली और हमीरपुर में कुछ लोग पहले तो दवा सेवन के लिए मना कर रहे थे, लेकिन स्वास्थ्य टीम की ओर से जानकारी मिलने के बाद स्वतः दवा सेवन के लिए आगे आए। गांवों में स्वास्थ्य टीम लोगों के घरों की कुण्डी खटका-खटका कर दवा के प्रति जागरूक करते हुए दवा सेवन करा रही है। साथ ही फाइलेरिया पेशेंट नेटवर्क के सदस्य लोगों को फाइलेरियारोधी दवा का सेवन करने के लिए जागरूक कर रहे हैं।