हमीरपुर। स्वतंत्रा आंदोलन में अंग्रेजों से लोहा लेने वाली यहां की एक वीरांगना महिला को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी। आंदोलन के दौरान इस वीरांगना के एक मासूम बच्चे की मौत हो गई थी, फिर भी आंदोलन से पीछे नहीं हटी। ब्रिटिश फौजों की मौजूदगी में एक पुलिस स्टेशन में तिरंगा फहराकर अंग्रेजी हुकूमत को बड़ी चुनौती भी दी थी, जिस पर वीरांगना को जेल की हवा भी खानी पड़ी थी।
बुंदेलखंड में अंग्रेजों से मोर्चा लेने वाली रानी राजेन्द्र कुमारी हमीरपुर जिले के राठ क्षेत्र के मंगरौठ गांव की रहने वाली थी। इनके पति दीवान शत्रुघ्न सिंह स्वतंत्रा संग्राम सेनानी रहे हैं। राजेन्द्र कुमारी का मायका फतेहपुर जिले के गाजीपुर गांव में था। इनके पिता शिवराज सिंह की गिनती क्षेत्र में संपन्न लोगों में थी। इन्होंने अपनी बेटी राजेन्द्र का रिश्ता मंगरौठ गांव में दीवान शत्रुघ्न सिंह के साथ किया था। दंपत्ति जीवन में प्रवेश करने के बाद वर्ष 1920 में राजेन्द्र कुमारी ने अंग्रेजों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के दौरान ससुराल में घूंघट में रहने की प्रथा को त्याग कर दिया था। यह वीरांगना महिला, स्वाधीनता संग्राम की गतिविधियों का हिस्सा बनी थी। इनके पति दीवान शत्रुघ्न सिंह ने वर्ष 1921 में निषेधाज्ञा की परवाह किए बगैर सत्याग्रह किया था। जिस पर उन्हें गिरफ्तार कर हमीरपुर जेल भेजा गया था। पति के जेल जाने के बाद रानी राजेन्द्र कुमारी ने अंग्रेजों से लोहा लेने का एलान किया और गांव और आसपास के इलाकों के हजारों लोगों को एकजुट कर उन्हें आंदोलन के लिए तैयार किया था। उन्हें वर्ष 1932 व 1933 में एक साल की सजा और साठ रुपये का जुर्माना किया गया था। वहीं 1934 में भी छह माह की सजा व सौ रुपये का जुर्माना किया गया था।
अंग्रेजी हुकूमत से मोर्चा लेने के लिए घूंघट हटाकर आंदोलन में कूदी थी महिला
रानी राजेन्द्र कुमारी ने ससुराल में ही अंग्रेजों को सबक सिखाने का फैसला किया। उन्होंने घूंघट का परित्याग कर अपने बेशकीमती सोने के गहने कांग्रेस पार्टी के कोष में दान कर दिया। पति के जेल की सलाखों में रहने के दौरान राजेन्द्र कुमारी ने समूचे क्षेत्र का भ्रमण किया लोगों में आंदोलन के लिए जोश भरा। उन्होंने वर्ष 1921 में बिहार के गया और झांसी में कांग्रेस पार्टी के सम्मेलन हुआ था। जहां राजेन्द्र कुमारी ने अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद की थी। कांग्रेस के पूर्व बुजुर्ग विधायक जगदीश नारायण शर्मा ने बताया कि सम्मेलन के बाद राजेन्द्र कुमारी ने यहां अंग्रेजों के खिलाफ बड़ा आंदोलन चलाया था।
आंदोलन में मासूम बेटे की मौत के बाद भी आंदोलन से पीछे नहीं हटी महिला
स्वाधीनता आंदोलन में राजेन्द्र कुमारी को जिला कांग्रेस कमेटी की कमान दी गई थी। उन्होंने अपने पति को जेल से रिहा कराने के लिए बड़ी जद्दोजहद की थी। हमीरपुर से साहित्यकार व शिक्षाविद डा. बीडी प्रजापति एवं पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण सिंह ने बताया कि अंग्रेजों के खिलाफ चलाए गए आंदोलन के दौरान वीरांगना राजेन्द्र कुमारी के एक मासूम पुत्र की मौत हो गई थी फिर भी इन्होंने स्वाधीनता आंदोलन से पीछे नहीं हटी थी। बताया कि अंग्रेजों के शासनकाल में महिलाओं में घूंघट लेने की प्रथा कायम थी लेकिन वीरांगना राजेन्द्र कुमारी ने इस प्रथा को खत्म करने के लिए खुद ही पहल की थी।
अंग्रेजों के खिलाफ सत्याग्रह कर वीरांगना ने पुलिस स्टेशन में फहराया था तिरंगा
स्वाधीनता आंदोलन को धार देने वाली रानी राजेन्द्र कुमारी ने महोबा के कजली मेला, मौदहा के कंस मेला और राठ में रामलीला के दौरान लोगों की भारी भीड़ के बीच ब्रिटिश हुकूमतके खिलाफ स्पीच दी थी। उनकी स्पीच सुनने के बाद अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए बड़ी संख्या में लोग खुलकर सड़क पर आ गए थे। साहित्यकार डा. बीडी प्रजापति ने बताया कि असहयोग आंदोलन के दौरान राजेन्द्र कुमारी ने राठ क्षेत्र में शराब की दुकानों पर महिलाओं की टोली के साथ धरना दिया था। वर्ष 1930 में सत्याग्रह के दौरान इस वीरांगना महिला ने ब्रिटिश फौजों के सामने कुलपहाड़ पुलिस स्टेशन में तिरंगा फहराया था।