अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के जीतते ही ईरान की करेंसी रियाल बुधवार को अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गई. कारोबार के दौरान डॉलर के मुकाबले रियाल का भाव 7,03,000 हो गया.
वर्ष 2015 में दुनिया की ताकतों के साथ ईरान के परमाणु करार के समय एक रियाल का भाव एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 32,000 था. ट्रंप 2018 में एकतरफा तरीके से इस करार से हट गए थे. इससे दोनों देशों के बीच तनाव उत्पन्न हो गया, जो आज भी कायम है. 30 जुलाई को, जिस दिन ईरान के सुधारवादी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने शपथ ली और अपना कार्यकाल शुरू किया, यह वक्त करेंसी 584,000 डॉलर प्रति डॉलर थी.
यह गिरावट ऐसे समय में आई है, जब ईरान की अर्थव्यवस्था अपने तेजी से बढ़ते परमाणु कार्यक्रम के कारण अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण वर्षों से संघर्ष कर रही है. मई में कट्टरपंथी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत के बाद चुने गए पेजेशकियन पश्चिमी प्रतिबंधों को कम करने के लिए एक समझौते पर पहुंचने के वादे पर सत्ता में आए थे. हालांकि, ईरान की सरकार कई हफ़्तों से यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि अमेरिका में जो भी चुनाव जीतेगा, उसका तेहरान पर क्या असर होगा. पेजेशकियन प्रशासन की प्रवक्ता फतेमेह मोहजेरानी की संक्षिप्त टिप्पणी के साथ बुधवार को भी यह रुख जारी रहा. उन्होंने कहा, “अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव का हमसे कोई खास लेना-देना नहीं है.अमेरिका और ईरान की प्रमुख नीतियां तय हैं और लोगों के दूसरों की जगह लेने से उनमें कोई बड़ा बदलाव नहीं आएगा. हमने पहले से ही आवश्यक तैयारियां कर ली हैं.”
साल 1979 में अमेरिकी दूतावास पर कब्जे और उसके बाद 444 दिनों तक चले बंधक संकट के 45 साल बाद भी दोनों देशों के बीच तनाव बरकरार है. ईरान मध्यपूर्व में युद्धों में उलझा हुआ है, जिससे उसके सहयोगी बुरी तरह से प्रभावित हैं – सशस्त्र समूह और उसके स्व-घोषित “प्रतिरोध की धुरी” के लड़ाके, जिनमें फिलिस्तीनी हमास आंदोलन, लेबनान की हिजबुल्लाह पार्टी और यमन के हौथी मिलिशिया शामिल हैं. इजरायल गाजा पट्टी में हमास को निशाना बनाकर युद्ध जारी रख रहा है और हिजबुल्लाह के खिलाफ विनाशकारी हमलों के बीच लेबनान पर आक्रमण कर रहा है. साथ ही, ईरान अभी भी दो ईरानी बैलिस्टिक मिसाइल हमलों के जवाब में 26 अक्टूबर को देश पर इजरायल के हमलों से हुए नुकसान का आकलन कर रहा है.