धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोपी राजस्व कर्मियों पर क्यों मेहरबान हैं जिले के अधिकारी


एक माह पहले दर्ज हो चुका है मुकदमा, लेकिन अभी तक आरोपियों पर नही हुई विभागीय कार्यवाही

बाराबंकी। कोतवाली नगर अन्तर्गत कुछ माह पूर्व नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष की जमीन को जालसाजी करके तहसील नवाबगंज में कार्यरत राजस्व निरीक्षक और हल्का लेखपाल द्वारा दूसरे के नाम कर देने के मामले में पुलिस ने तो काफी दबाव के बाद धारा 420, 467, 468, 471 के तहत मुकदमा पंजीकृत करके जांच पड़ताल शुरु कर दी। लेकिन वहीं दूसरी तरफ उच्चाधिकारियों के द्वारा संरक्षण प्राप्त आरोपी राजस्व कर्मियों के विरुद्ध अभी तक कोई भी विभागीय कार्यवाही नही हुई है। जिससे क्षेत्र में चर्चा जोरो पर है कि आखिरकार जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी नवाबगंज इन राजस्व कर्मियों पर क्यों नजरे इनायत करे हुए हैं। जानकारी के अनुसार, कोतवाली नगर के सिविल लाइन देवा रोड दुर्गापुरी कालोनी निवासी गुप्तारनाथ जायसवाल पुत्र गुरु प्रसाद जायसवाल जो पूर्व में नगर पालिका नवाबगंज के अध्यक्ष पद पर भी रह चुके हैं। उन्होने बीते माह 25 जुलाई को पुलिस अधीक्षक दिनेष कुमार सिंह के कार्यालय में जाकर एक षिकायती पत्र दिया। जिसमें उन्होने लिखा था कि मेरे नाम रजिस्टर्ड फर्म जीएस अपैरल प्रा.लि. है। जिसमें जनपद बनारस के मेन रोड भदोही निवासी राजेष गुप्ता पुत्र षिव बालक गुप्ता मेरे साथ में कम्पनी के संयुक्त रुप से निदेषक के पद पर कार्यरत थे। उन्होने यह भी कहा कि फर्म के नाम पर करोड़ो की चल-अचल सम्पत्ति दर्ज थी। कुछ माह पूर्व फर्म के सह निदेषक राजेष गुप्ता की अचानक मौत हो गयी। उनकी मौत हो जाने के बाद उनके पुत्र सिद्धार्थ गुप्ता निवासी भदोही जो वर्तमान में जनपद लखनऊ के न्यू कालोनी मानस नगर में रहते हैं। पीड़ित पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष ने आगे कहा कि फर्म की सम्पत्ति भूमि गाटा सं-703, 690, 706 नवाबगंज तहसील में स्थित है। उस जमीन को तत्कालीन हल्का लेखपाल चंद्रसेन और राजस्व निरीक्षक आषुतोष उपाध्याय से मिलकर छल कपट और जालसाजी करके सरकारी अभिलेखों में पर वरासत अपने नाम करवा ली। उन्होने यह भी बताया कि फर्म के नियमों के अनुसार, मेरे फर्म के नाम सम्पूर्ण चल व अचल सम्पत्ति पर फर्म में नामित दोनो निदेषकों के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति व किसी निदेषक के वारिस का कोई भी अधिकार नही होगा।

जबकि सिद्धार्थ गुप्ता ने बदनीयती से छल कपट करके सही तथ्यों को छिपाकर कूट रचित अभिलेखों के द्वारा राजस्व कर्मियों से साठ गांठ करके फर्म की उपरोक्त भूमि सरकारी अभिलेखों में अपने नाम दर्ज कराकर मेरे साथ में धोखाधड़ी की है। पीड़ित का यह भी आरोप है कि इस धोखाधड़ी से मैं काफी आहत हो गया हूं। उन्होने पुलिस अधीक्षक को बताया कि बीती 6 मई को मैने इस सम्बन्ध में एक षिकायती पत्र दिया था। लेकिन कोई भी कार्यवाही नही की गयी है। पुलिस अधीक्षक ने पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष की षिकायत को गम्भीरता से लेते हुए कोतवाली प्रभारी नगर को उक्त घटना का मुकदमा दर्ज करके कार्यवाही के निर्देष दिए हैं। पुलिस अधीक्षक के निर्देष पर कोतवाली प्रभारी नगर अजय त्रिपाठी ने राजस्व कर्मियों पर मुकदमा दर्ज करके जांच पड़ताल शुरु कर दी है। इन सब में सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की हो रही है कि राजस्व कर्मियों के ऊपर जालसाजी और धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज हुए लगभग एक माह बीत चुका है लेकिन जिलाधिकारी सत्येन्द्र कुमार और उपजिलाधिकारी नवाबगंज ने इन आरोपी राजस्व कर्मियों के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही क्यों नही की। जबकि जिलाधिकारी ने पिछले एक माह के अन्दर वरासत करने में लापरवाही का मामला हो या गलत वरासत दर्ज हो जाने पर कई राजस्व निरीक्षकों और लेखपालों का निलम्बन करके विभागीय जांच भी शुरु करवायी थी। लेकिन पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष की फर्म की जमीन पर धोखाधड़ी और जालसाजी करने वाले राजस्व कर्मियों के विरुद्ध आखिरकार जिलाधिकारी और उनके अधीनस्थ क्यों मेहरबान हैं। इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी नवाबगंज से जानकारी करने का प्रयास किया गया लेकिन उनसे बात नही हो सकी। वैसे उक्त प्रकरण पूरे नगर में चर्चा का विषय बना हुआ है और उससे ज्यादा चर्चा राजस्व कर्मियों पर उच्चाधिकारियों की मेहरबानी की भी जोरो से हो रही है।

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