असलहा गाँजा व स्मैक सप्लायर तक क्यों नहीं पहुंच पाती पुलिस
तमंचा गांजा व स्मैक गुडवर्क में पुलिस की भूमिका संदिग्ध
गौरीगंज अमेठी। अमेठी जनपद के जगदीशपुर कमरौली शुकुल बाजार भाले सुल्तान मुसाफिर खाना गौरीगंज मुंशीगंज अमेठी पीपरपुर रामगंज इन्हौना मोहनगंज फुरसतगंज स्थित विभिन्न थानों की पुलिस हो या पुलिस चौकी के जिम्मेदार अधिकारी ही क्यों न हो। इन सब के तमाम गुडवर्को में हमेशा एक खामियां देखी गई है । जिसे शायद ही कोई पुलिस अधिकारी सामने रख पाता हो क्यों कि अब अधिकारियों से सवाल पूछना कितना खतरनाक हो गया है यह तो सभी जानते हैं पुलिस अमूमन अपराधियों को गिरफ्तार तो करती है और उनके पास से अवैध तमंचा और कारतूस बरामद करने के बाद आरोपी को थाने के सामने खड़ा करके उसका फोटो सेशन करा देती है। लेकिन न तो पुलिस अपनी जानकारी में यह बता पाती है कि आखिरकार उक्त आरोपी के पास यह तमंचा कहां से आया ? क्यों कि किसी न किसी अपराधी से ही उस व्यक्ति ने तमंचा खरीदा होगा या कि किसी तमंचे की फैक्ट्री से जाकर उस तमंचे को खरीदा होगा। शायद पुलिस निष्पक्ष रुप से इस मामले की तहकीकात करती तो असलहे की फैक्ट्री और असलहा सप्लायर तक पहुंच सकती थी । लेकिन पुलिस इतनी जहमत क्यों उठाए उसे तो अपना गुडवर्क साबित कर अधिकारी की वाहवाही ही तो लूटनी है। यही हाल कुछ थानों की पुलिस द्वारा हाल ही में किए गए गांजा व स्मैक के गुडवर्क में खामियां नजर आई क्यों कि पुलिस गांजा व स्मैक तो बरामद कर लेती है परंतु इसका थोक सप्लायर कौन है और वह क्यों पुलिस की नजर से विलुप्त हो जाता है और पुलिस इन थोक सप्लायरो पर अपनी निगाहें डालना मुनासिब नहीं समझती है अब मामला चाहे जो भी रहा हो लेकिन जब तक पुलिस इन सरगनाओं को सलाखों के पीछे नहीं भेज पाएगी तब तक छोटे मोटे अपराधियो को जेल भेजने का कोई सरोकार नहीं होगा। ये नही कहा जा सकता है कि इन अपराधियों को खुला छोड़ दिया जाए लेकिन इन सरगनाओं को भी सजा मिलनी चाहिए क्यों कि आज के दौर में बेरोजगार युवकों की कमी नहीं है और साथ ही साथ उनके अंदर अपराधिक प्रवत्ति भी बढ़ती जा रही है । इस लिए एक गया तो क्या हुआ दूसरा तैयार बैठा हुआ दिखाई देता है। यही कारण है कि इनका कारोबार भली-भांति फल फूल रहा है और इसका सबसे बड़ा कारण पुलिस का आधा अधूरा गुड वर्क ही दिखाई देता है।
अपराध को बढ़ावा दे रही पुलिस-—
अगर किसी अपराधी के खिलाफ आठ दस वर्ष पहले मुकदमा दर्ज किया गया था और उस कार्य को छोड़कर किसी दूसरे कार्य में लिप्त हो गया हो उसे भी पुलिस थाने लाकर स्मैक व तमंचा में चालान कर जेल भेज रही है ।इससे यह साबित हो रहा है कि पुलिस अपराध पर अंकुश लगाने के बजाय फर्जी मुकदमा दर्ज कर अपराधी बनाया जा रहा है ।