संसद का शीतकालीन सत्र इस बार काफी हंगामेदार रहा. दोनों सदनों की कार्रवाई शरुआत के तीन दिन तो बिलकुल भी नहीं चल पाई. वहीं, पक्ष और प्रतिपक्ष की हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही स्थगित पर स्थगित होते रही. इस बीच संसद में व्यवधान के कारण कामकाज कम होने को लेकर उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने चिंता जाहिर की है. उन्होंने रविवार को सांसदों की जवाबदेही की वकालत की.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि लोग सांसदों को यह सोचने पर मजबूर करें कि उन्हें संसद में क्यों भेजा गया. उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी लोकतंत्र की सफलता के लिए अभिव्यक्ति और संवाद दोनों बड़ी जिम्मेदारी के साथ-साथ चलने चाहिए. उन्होंने यह बात उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में चौधरी चरण सिंह पुरस्कार 2024 के विजेताओं को संबोधित करते हुए कहा है.
राज्यसभा के सभापति धनखड़ ने सांसदों के बीच जवाबदेही का आह्वान करते हुए कहा, ‘कोई गलती न करें, मैं सांसदों का जिक्र कर रहा हूं. लोगों ने अव्यवस्था को व्यवस्था के रूप में लेना सीख लिया है.’ आधिकारिक बयान के अनुसार, उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘लोग आपको (सांसदों) सोचने पर मजबूर करेंगे कि आप वहां (संसद) क्यों गए थे?’
कृषि ग्रामीण विकास की रीढ़ है- उपराष्ट्रपति
चौधरी चरण सिंह पुरस्कार, 2024 के विजेताओं को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि कृषि ग्रामीण विकास की रीढ़ है. उन्होंने कहा, ‘जब तक कृषि का विकास नहीं होता, ग्रामीण परिदृश्य को बदला नहीं जा सकता. और जब तक ग्रामीण परिदृश्य नहीं बदलता, हम विकसित राष्ट्र बनने की आकांक्षा नहीं कर सकते.’
उन्होंने कहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए लोगों की आय में आठ गुना वृद्धि होनी चाहिए. यह एक कठिन चुनौती है. उपराष्ट्रपति ने कहा कि चौधरी चरण सिंह जैसा नेता दुर्लभ है और लंबे समय तक हमें फिर से सम्मानित नहीं करेगा। इन पुरस्कारों को समय के साथ संरचित किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे भावी पीढ़ी के लिए आत्मनिर्भर हों.