नई दिल्ली। ऐसी कंडिशन है, जिसमें थायरॉइड ग्लैंड सही तरीके से काम करना बंद कर देता है और इसके कारण थायरॉइड हार्मोन की मात्रा असंतुलित हो जाती है। Thyroid से जुड़ी समस्याओं में दो प्रमुख परेशानियां हैं, हाइपोथायरॉइडिज्म, जिसमें थायरॉइड ग्लैंड कम हार्मोन रिलीज करता है और दूसरा है हाइपरथायरॉइडिज्म, जिसमें थायरॉइड ग्लैंड ज्यादा हार्मोन रिलीज करता है।
वैसे तो, यह समस्या किसी भी व्यक्ति को हो सकती है, लेकिन इस समस्या से ज्यादातर महिलाएं प्रभावित होती हैं। लेकिन ऐसा क्यों होता है। इस बारे में जानकारी हासिल करने के लिए हमने डॉ. किंजल कोठारी (मणिपाल अस्पताल, गोवा के स्त्री एवं प्रसुति रोग विभाग की एसोशिएट कंसल्टेंट) से बात की। आइए जानें उन्होंने क्या बताया कि क्यों महिलाएं इसका ज्यादा शिकार होती हैं और इसके क्या संकेत हो सकते हैं।
डॉ. कोठारी ने बताया कि दुनियाभर में लाखों लोग Thyroid से जुड़ी समस्या से प्रभावित होते हैं, लेकिन महिलाएं इस परेशानी से ज्यादा प्रभावित होती हैं। थायरॉइड ग्लैंड के ठीक से काम न करने की वजह से सेहत से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए जरूरी है यह जानें कि क्यों महिलाएं इस परेशानी से ज्यादा जूझती हैं और इसके लक्षणों की मदद से इसका जल्द से जल्द पता लगाना जरूरी है, ताकि इसे मैनेज करने में मदद मिल सके।
क्यों महिलाओं में ज्यादा होती है Thyroid की समस्या?
हार्मोनल बदलाव- महिलाओं के जीवन के हर पड़ाव में हार्मोन्स में बदलाव होते हैं। किशोरावस्था, प्रेग्नेंसी, मेनोपॉज और यहां तक कि हर महीने माहवारी के दौरान भी हार्मोन्स में उतार-चढ़ाव होता रहता है। इसलिए महिलाओं में हार्मोन असंतुलन का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए इन बदलावों की वजह से Thyroid के फंक्शन में बदलाव आ सकते हैं और हाइपोथायरॉइडिज्म और हाइपरथायरॉइडिज्म जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
ऑटोइम्यून कंडिशन्स- ऑटोइम्यून डिसऑर्डर्स ऐसी समस्या है, जिसमें इम्यून सिस्टम अपने हेल्दी टिश्यूज पर हमला करने लगती है। यह डिसऑर्डर महिलाओं में ज्यादा होता है। आपको बता दें कि हाशिमोटो थायरॉइडाटिस और ग्रेव्स डिजीज ऑटोइम्यून डिजीज हैं, जो थायरॉइड ग्लैंड को प्रभावित करते हैं। इसलिए महिलाओं में थायरॉइड डिसऑर्डर का खतरा ज्यादा होता है।
जेनेटिक कारण- जेनेटिक्स फैक्टर्स भी थायरॉइड ग्लैंड को प्रभावित करते हैं। इसलिए जिन महिलाओं के परिवार में किसी को थायरॉइड की समस्या होती है, उनमें इसका खतरा खुद-ब-खुद बढ़ जाता है।
स्ट्रेस- लंबे समय तक तनाव से जूझने की वजह से भी हार्मोन्स लेवल असंतुलित हो सकते हैं और सूजन हो सकती है। इन कारणों से थायरॉइड डिसऑर्डर का खतरा बढ़ जाता है। महिलाएं ज्यादा प्रभावित इसलिए हो सकती हैं, क्योंकि उन पर काफी जिम्मेदारियां होती हैं, जिसके कारण वे स्ट्रेस की वजह से होने वाली समस्याओं का शिकार हो सकती हैं।
क्या हैं थायरॉइड डिसऑर्डर के संकेत?
थकान- आराम करने के बावजूद, हमेशाथका हुआ महसूस करना थायरॉइड डिसऑर्डर का संकेत हो सकता है। थायरॉइड में समस्या के कारण व्यक्ति को हमेशा थका हुआ, सुस्त और कम एनर्जेटिक महसूस करता है।
वजन में बदालाव- अकारण वजन बढ़ना या घटना थायरॉइड से जुड़ी समस्या की ओर इशारा हो सकता है। हाइपोथायरॉइडिज्म में वजन बढ़ जाता है और वहीं हाइपरथायरॉइडिज्म में वजन घट जाता है।
मूड स्विंग्स- थायरॉइड डिसऑर्डर की वजह से व्यक्ति का मूड जल्दी-जल्दी बदलने लगता है। इसके कारण चिड़चिड़ापन, एंग्जायटी और अवसाद जैसी समस्याएं हो सकती हैं। व्यक्ति की भावनाओं में जल्दी-जल्दी बदलाव हो सकते हैं।
बाल झड़ना- बाल झड़ना, खासकर, खोपड़ी के बाहरी हिस्सों की तरफ से, थायरॉइड डिसऑर्डर के सामान्य लक्षणों में से एक है। इस कंडिशन में बालों के टेक्सचर में परिवर्तन या अचानक से झड़ना काफी सामान्य है।
अनियमित माहवारी- महिलाओं में थायरॉइड डिसऑर्डर का एक संकेत अनियमित माहवारी है। हार्मोन्स में बदलाव की वजह से पीरियड्स के दौरान काफी ज्यादा ब्लीडिंग होना या कम ब्लीडिंग होना या पीरियड्स न आने, जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
इन लक्षणों की पहचान करना और डॉक्टर से सलाह लेना थायरॉइड डिसऑर्डर के लक्षणों को मैनेज करने के लिए जरूरी हैं। थायरॉइड से जुड़ी समस्या का पता लगाने के लिए डॉक्टर्स ब्लड टेस्ट और थायरॉइड इमेजिंग की मदद ले सकते हैं। साथ ही, इसके इलाज के लिए दवाओं, लाइफस्टाइल में सुधार और कुछ गंभीर मामलों में सर्जरी की जरूरत पड़ती है।