भाजपा हैट्रिक लगाने तो सपा रोकने को तैयार
हर दल के उम्मीदवार खेत मालिक होने कर रहे है दावा
बलिया। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे राजनैतिक तापमान भी बढ़ता जा रहा है। लंबे समय से अपनी- अपनी राजनीतिक खेती तैयार करने में जुटे प्रत्येक दल के उम्मीदवार व उनके समर्थक फसल काटने के लिए अपना-अपना झंडा-डंडा लेकर खेत का मालिक होने का दावा ठोंक रहे हैं। अब देखना यह है कि 2024 के चुनावी महासमर में मतदाता किस नेता को खेत का मालिक होने की मुहर लगा रहे है और किसको वापस लौटा रहे है।
बलिया लोकसभा सीट की बात करें तो भाजपा एवं सपा में कांटे की टक्कर होना तय माना जा रहा है। जबकि बसपा भी दलित और अल्पसंख्यक मतों के सहारे जीत का दावा ठोंक रही है। बलिया लोकसभा सीट पर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर को बीजेपी ने इस बार उम्मीदवार बनाया है। नीरज शेखर वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं। वह दो बार बलिया लोकसभा सीट से सांसद भी रह चुके हैं। इस बार भाजपा हैट्रिक लगाने के लिए कोई और कसर छोड़ना नहीं चाह रही है। जबकि सपा हैट्रिक को रोकने के लिए पूरी तरह से कमर कसकर मैदान में तैयार है। इस लोकसभा सीट पर जीत एक बड़ी चुनौती बन गई है।
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पहले नहीं था ज्ञान, अब नीरज शेखर हो चुके है परिपक्व
बलिया। वह दौर था जब पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर अपने बेटों को राजनीति से काफी दूर रखे। लोग बताते हैं कि चंद्रशेखर के निधन के बाद वर्ष 2007 के उप चुनाव में नीरज शेखर को राजनीति का कोई ज्ञान तक नहीं था। लेकिन राजनीति की लंबी पारी खेलकर सियासत में अब वह परिपक्व हो चुके हैं। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने नीरज शेखर पर दाव लगाया है। जबकि समाजवादी पार्टी ने अपने पूर्व लोकसभा प्रत्याशी सनातन पांडेय पर भरोसा जताया है। गठबंधन व सपा के दिग्गज नेताओं के एकजुट होने से सनातन पांडेय का टेपो हाई है। ऐसे में सपाई भी अपने जीत का दावा ठोक रहे हैं।
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जिले में सात मई से चुनाव महासंग्राम का बज चुका है बिगुल
बलिया। लोकसभा सीट बलिया में सातवें चरण का मतदान एक जून को सम्पन्न होगा। पूर्वांचल की इस सीट पर नामांकन की प्रक्रिया सात मई से चल रही है। पिछले दो लोकसभा चुनावों पर नजर डालें तो वर्ष 2009 एवं 2014 में यह सीट भारतीय जनता पार्टी के खाते में गई थी। इस लोकसभा चुनाव में जहां भाजपा हैट्रिक लगाने की तैयारी में जुटी है, वहीं सपा पुनः वापसी करने में अपना पूरा दमखम लगा रही है। जबकि बहुजन समाज पार्टी इस सीट पर अपनी स्थिति बेहतर करने में जुटी है। देखा जाए तो कांग्रेस इस बार सपा के साथ चुनावी गठबंधन कर खुद चुनाव मैदान से दूर रहेगी।
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क्या पुराने फार्मूले पर हैट्रिक लगाएगी भाजपा
बलिया। समाजवादी पार्टी के मुखिया जहां पिछड़ा, दलित व अल्पसंख्यक यानी पीडीए फ्रंट के जरिए इस सीट पर बढ़त बनाने की कोशिश करते दिखाई दे रही है। सपा उम्मीदवार गठबंधन को लेकर अपनी जीत सुनिश्चित मान रहे हैं। वही भारतीय जनता पार्टी अपने पुराने फार्मूले से जीत को लेकर आश्वस्त है। उधर बहुजन समाज पार्टी की नजर दलित और अल्पसंख्यक वोट पर गड़ी है। पिछले लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा गठबंधन के बाद भी सपा के सनातन पांडेय को हार का सामना करना पड़ा था। इस बार बसपा उम्मीदवार के चुनाव मैदान में उतरने के बाद देखना है कि सपा की नैया डूबेगी या कोई उसे खेवनहार मिलेगा ? भाजपा प्रत्याशी के लिए भी यह चुनाव चुनौती बना हुआ है। भाजपा प्रत्याशी नीरज शेखर की सपा से सीधी टक्कर एवं हार का खतरा महसूस हो रहा है। अब उम्मीदवारों की डूबती नैया कैसे पार लगेगी यह समय बताएगा ?
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चुनावी वर्ष – प्रत्याशी- पार्टी – कुल वोट
2019-वीरेंद्र सिंह मस्त- भाजपा -4,69,114
दूसरे स्थान पर: सनातन पांडेय- समाजवादी पार्टी – 4,53,595
वर्ष 2014 – भरत सिंह -भाजपा- 3,59,758
नीरज शेखर- समाजवादी पार्टी- 2,20,324
2009 -नीरज शेखर- सपा- 2,76,649
संग्राम सिंह यादव – बसपा – 2,04,094
वर्ष 2007 में नीरज शेखर सपा –
295000
2004 -चंद्रशेखर एसजेपी (आर) – 2,70,136
कपिलदेव यादव – बसपा- 1,89,082
1999 -चंद्रशेखर एसजेपी (आर)- 2,35,946
रामकृष्ण उर्फ गोपाल मिश्रा -भाजपा – 1,80,271
1998 – चंद्रशेखर एसजेपी (आर) – 2,60,544
रामकृष्ण उर्फ गोपाल -भाजपा 2,31,060
1996- चंद्रशेखर – एसएपी – 3,05,592
जगन्नाथ चौधरी- कांग्रेस 1,18,987
1991- चंद्रशेखर जनता पार्टी- 2,13,066
जगन्नाथ चौधरी -कांग्रेस – 1,54,518
1989 -चंद्रशेखर -जनता दल- 2,51,997
जगन्नाथ चौधरी -कांग्रेस- 1,61,016
1984- जगन्नाथ चौधरी- कांग्रेस- 2,25,984
चंद्रशेखर -जेएनपी -1,72,044
1980 -चंद्रशेखर -जेएनपी- 1,59,901
जगन्नाथ चौधरी- कांग्रेस (आई)- 1,36,313
1977 -चंद्रशेखर -बीएलडी- 2,62,641
चंद्रिका प्रसाद -कांग्रेस – 95,423
1971- चंद्रिका प्रसाद -कांग्रेस -1,67,724
शिवदत्त -एनसीओ -50,207
1967-सी प्रसाद- कांग्रेस— 64,643
रामेश्वर- एसएसपी -44,930
1962- मुरली मनोहर-कांग्रेस-1,06,245
बैजनाथ- पीएसपी -70,452
1957-राधा मोहन-कांग्रेस -96,501
राम नगीना- पीएसपी -50,706