आर्यन मिश्रा के पिता का सवाल- मारने का अधिकार किसने दिया?

इस दुनिया का सबसे भारी वजन क्या है? ये सवाल अगर किसी मजदूर से पूछा जाए तो वह कहेगा कि उसके भूखे बच्चों का पेट उसके लिए सबसे भारी वजन है लेकिन यही सवाल अगर आप किसी पिता से पूछें जिसने अभी-अभी अपने बच्चे को खोया हो तो वो आपको बताएगा कि जब कंधे पर अपने जवान बच्चे की अर्थी उठानी पड़ती है तो वह वजन झेलने के लिए कंधे साथ नहीं देते जब किसी पिता के सामने उसके बच्चे की लाश चिता पर सजी होती है, तो वह उस लाश पर अंतिम फूल नहीं चढ़ाता… बल्कि वह अंतिम श्रद्धांजली देता है अपने अरमानों, सपनों को… वह श्रद्धांजली देता है अपने जीवन के उन सारे सालों कि की गई महनत को जिस वक्त उसने जलती धूप में अपने पांव के छालों को नजरअंदाज किया था ताकी उसका बच्चा आगे बढ़ सके वह श्रद्धांजली देता है उन हाथों को जो कल उसकी ढलती उम्र में उसके कंधों को आराम देते बच्चे की चिता के साथ एक लाश ही नहीं जलती है, बल्कि जल जाती है माता-पिता के सारे सपनों की दुनिया वह सांसें जिन्होंने उन्हें नया जीवन दिया था, जब वह उखड़ती हैं तो माता-पिता के अंदर कुछ नहीं बचता

कुछ ऐसी ही कहानी इस वक्त आर्यन मिश्रा के माता-पिता की भी है बच्चे को चिता पर लिटाकर जब आर्यन के पिता ने उसका अंतिम संस्कार किया होगा तो कोई सोच नहीं सकता कि उनपर क्या गुजरी होगी एक पिता जिसने अपने बच्चे को पढ़ा-लिखाकर काबिल इंसान बनाने का सपना देखा था कभी, आज वो ही पिता अपने खुद के हाथों से उसी की लाश को आग देकर आया है उसने देखा है अपने खून को हवा में राख बनते हुए हरियाणा का आर्यन मिश्रा कल तक 12वीं क्लास में पढ़ने वाला एक मामूली सा लड़का था, लेकिन आज वो मामूली नहीं रह गया आर्यन तो इस दुनिया को छोड़कर चला गया, लेकिन अपने पीछे छोड़ गया अपने बिलखते माता-पिता को, जो बस यही पूछ-पूछ कर अधमरे हुए जा रहे हैं कि आखिर उनके मासूम बच्चे को गोली मारने का अधिकार हत्यारों को किसने दे दिया?

‘किसने ये अधिकार दिया?’
अपने 19 साल के बच्चे की अर्थी कंधे पर उठाकर उसका अंतिम संस्कार करके आए पिता का केवल एक ही सवाल है कि आखिर किसने ये अधिकार दिया कि इस तरह से मासूम का सीना छलनी कर दिया जाए. आर्यन को लेकर पूछे गए सवाल पर पिता ने कहा कि हम तो साहब ब्राह्मण हैं… खाने-कमाने वाले लोग हैं… हमने किसी का क्या बिगाड़ा था? मां तो होश में ही नहीं… उनसे पूछो तो कहती हैं कि बेटा हमें चाय बनाकर पिलाता था…. दवाई खिलाता था… आप सड़कों पर, दुकानों पर किसी से भी पूछ लीजिए, वह सबका चहीता था… ज्यादा पूछने पर वह बिलख पड़तीं हैं कि जिसको खून से सींचकर दुनिया में लाईं थीं, आज उसी के शरीर पर जमे खून को अपनी आंखों से देखना पड़ा और वो कुछ नहीं कर पाईं

आर्यन मिश्रा को मारी गई थी गोली
हरियाणा के फरीदाबाद में 12वीं के छात्र आर्यन मिश्रा की हत्या ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है हर किसी के मन में यही सवाल है कि एक शक के चलते किसी का 30 किलोमीटर तक पीछा करने के बाद उसे गोली मार दी गई ये कैसी गोरक्षा थी? आर्यन को गोली मारने वाले आज कह रहे हैं कि उनको अफसोस है कि उन्होंने अपने ही एक ‘भाई’ को गोली मार दी आर्यन को गौतस्कर समझ गौरक्षकों ने गोली मारी थी उसकी मौत से उसके पिता सिया नंद मिश्रा पूरी तरह टूट चुके हैं जवान बेटे की मौत ने उन्हें झकझोर कर रखा दिया है हत्यारोपी कर रहे हैं उनसे गलती हो गई… लेकिन क्या उनकी इस गलती से उस पिता के सपने जो बेटे के साथ राख हो गए, वापस आ जाएंगे या फिर कभी वापस आ पाएगी उस मां के चेहरे की हंसी जिसका कारण उसका लाल था…

23 अगस्त की रात हुआ था कत्ल
23 अगस्त की रात कार में आर्यन अपने दोस्तों के साथ बैठा था, उसपर गौतस्करों की कार समझकर फायरिंग कर दी गई आर्यन ड्राइविंग सीट के बगल में बैठा हुआ था इस दौरान गोली आर्यन के कान के पास गर्दन में जा लगी यही नहीं जैसे ही कार रुकी गौरक्षकों ने एक और गोली आर्यन के सीने में दाग दी जिससे एक 12वीं क्लास के छात्र ने बिना किसी गलती के इस दुनिया से रुखसती ले ली और पीछे छोड़ दिए गंभीर सवाल जिनके जवाबों को ढूंढने के लिए अब उसके माता-पिता दर-बदर भटक रहे हैं

दिल्ली-आगरा नेशनल हाईवे पर गदपुरी के पास आर्यन की हत्या के मामले में पुलिस ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है आरोपियों की पहचान अनिल, किशन, वरुण आदेश और सौरव के रूप में हुई है इन आरोपियों को गौरक्षक बताया जा रहा है, जिन्होंने आर्यन और उसकी कार में बैठे दो दोस्तों को पशु तस्कर समझकर हाईवे पर लगभग 30 किलोमीटर तक उनका पीछा किया और फायरिंग की जिसमें आर्यन की मौत हो गई

Related Articles

Back to top button