क्या जनता वाहरी नेताओ को चुनाव में जीत दिलाती रहेगी

बदायूं । वर्तमान में दोनों सीटों के सांसद वहां के स्थानीय निवासी नहीं हैं। इन सीटों पर समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर बाहरी प्रत्याशियों को मैदान में उतारने की शुरुआत कर दी है। सपा ने इटावा के मूल निवासी पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव को बदायूं और बरेली निवासी भगवत सरन गंगवार को पीलीभीत से मैदान में उतारा है।

इससे पहले भी बदायूं और पीलीभीत सीट से जनता दल के दिग्गज नेता शरद यादव, गांधी परिवार की मेनका गांधी और वरुण गांधी, मुलायम सिंह यादव के परिवार से धर्मेंद्र यादव, प्रयागराज के रहने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम इकबाल शेरवानी सहित कई नेताओं ने संसद का सफर तय किया है। सबसे अहम बात यह है कि बाहरी प्रत्याशी सांसद बनने के बाद यहां टिके भी रहे।

बात बदायूं की करें तो सबसे पहले यहां प्रयागराज से आकर वर्ष 1984 में सलीम इकबाल शेरवानी कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने। वर्ष 1989 में बिहार निवासी शरद यादव जनता दल से सांसद चुने गए। उन्होंने यहां दोबारा भी भाग्य आजमाया था, लेकिन उन्हें मूल रूप से गोंडा के निवासी स्वामी चिन्मयानंद ने शिकस्त दे दी थी।
इसके बाद फिर सलीम इकबाल शेरवानी ने वर्ष 1996 से वर्ष 2004 तक लगातार बदायूं से जीत दर्ज की। वर्ष 2009 व 2014 में मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव सांसद बने। हालांकि वर्ष 2019 में धर्मेंद्र यादव के खिलाफ प्रयागराज निवासी भाजपा की संघमित्रा मौर्या ने अपने नाम जीत दर्ज की।

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