क्या ममता बनर्जी कांग्रेस से इंडिया गठबंधन की अगुवाई को छीन पाती हैं या नहीं?

नरेंद्र मोदी को 2024 में सत्ता की हैट्रिक लगाने से रोकने के लिए तमाम विपक्षी दलों ने मिलकर इंडिया गठबंधन का गठन किया था. इंडिया गठबंधन की बुनियाद रखी जा रही थी तो टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी भी उसमें शामिल थी, लेकिन चुनाव से पहले टीएमसी ने अपने कदम पीछे खींच लिए थे. ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में इंडिया गठबंधन से अलग चुनाव लड़ा था. ऐसे में कांग्रेस की अगुवाई वाला इंडिया गठबंधन भले ही मोदी को सत्ता से बाहर न कर सका हो, लेकिन बीजेपी को बहुमत से जरूर दूर कर दिया था. बीजेपी को नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के सहारे सरकार बनानी पड़ी थी, लेकिन सियासी पहिया एक बार फिर घूमता नजर आ रहा.

लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन से कांग्रेस की हैसियत बढ़ गई थी. दस साल के बाद कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पाने में सफल रही, लेकिन हरियाणा और महाराष्ट्र की हार ने सियासी माहौल बदल दिया है. अब पांच महीने के बाद ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन को लीड करने का दांव ठोक दिया है. कांग्रेस को भले ही ममता की शर्त स्वीकार न हो, लेकिन सपा से लेकर शरद पवार की एनसीपी और शिवसेना (यूबीटी) तक के खुलकर समर्थन में उतरने से राहुल गांधी के इंडिया गठबंधन के नेतृत्व करने पर ममता बनर्जी भारी पड़ रही हैं. ऐसे में देखना है कि क्या ममता बनर्जी कांग्रेस से इंडिया गठबंधन की अगुवाई को छीन पाती हैं या नहीं?

ममता बनर्जी कांग्रेस पर पड़ रही हैं भारी?
इंडिया गठबंधन के तहत लोकसभा चुनाव लड़ने का सबसे ज्यादा फायदा कांग्रेस और सपा को हुआ था. सपा यूपी में 37 सीटें और कांग्रेस देश भर में 99 सीटें जीतने में कामयाब रही. ममता बनर्जी की टीएमसी को पश्चिम बंगाल में 29 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस अपने गठबंधन के सहयोगियों के सहारे सीटें जीतने में कामयाब रही तो ममता बनर्जी ने अपने दम पर बंगाल में बीजेपी को हराया था. हालांकि, ममता बनर्जी की पार्टी सिर्फ बंगाल तक सीमित है तो कांग्रेस का सियासी आधार देश भर के राज्यों में है. इसके चलते ही कांग्रेस इंडिया गठबंधन की अगुवाई करती रही है और राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष के तौर पर विपक्ष का चेहरा माने जाते हैं.

ममता ने INDIA को लीड करने का दांव ठोका
लोकसभा चुनाव से बने सियासी माहौल को हरियाणा और महाराष्ट्र के नतीजों ने फीका कर दिया है. हरियाणा में कांग्रेस और महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन की करारी हार के बाद से कांग्रेस निशाने पर है. ममता बनर्जी ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने की इच्छा जाहिर कर कांग्रेस को बड़ी चुनौती दी है. उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर वह बंगाल से ही इंडिया गठबंधन की जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार हैं. टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने भी ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन का स्वाभाविक नेता बताया था. टीएमसी नेताओं का दावा है कि ममता दीदी के नेतृत्व में ही इंडिया गठबंधन बीजेपी का मुकाबला कर सकता है.

ममता बनर्जी के निशाने पर बनी हुई है कांग्रेस
ममता बनर्जी इसके पहले भी कई मौकों पर इंडिया गठबंधन के नेतत्व करने वाली कांग्रेस पर निशाना साध चुकी हैं. हाल ही में उन्होंने कहा था कि कांग्रेस को संसद में सिर्फ अडानी का मुद्दा ही दिखता है. विपक्षी नेताओं में ममता बनर्जी पहली नेता रहीं, जिन्होंने बांग्लादेश के मुद्दे पर सकारात्मक बयान दिया है. उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार को बांग्लादेश में हिन्दुओं पर होने वाले अत्याचार पर संयुक्त राष्ट्र की सेना की तैनाती की पहल करनी चाहिए. ममता के इन बयानों से साफ है कि वे इंडिया ब्लॉक में कांग्रेस के स्टैंड और कामकाज से असंतुष्ट हैं.

ममता को मिला गठबंधन के दलों का समर्थन
ममता बनर्जी के इंडिया गठबंधन के लीड करने की ख्वाहिश को कांग्रेस भले ही स्वीकर न करें, लेकिन सपा से लेकर शरद पवार और उद्धव ठाकरे खेमा का समर्थन मिलता नजर आ रहा. सपा प्रवक्ता उदयवीर सिंह ने कहा कि अगर ममता कमान संभालने के लिए तैयार हैं तो उनकी बातों पर विचार करना चाहिए और उन्हें समर्थन देना चाहिए. इससे गठबंधन मजबूत होगा. ममता बनर्जी बंगाल में बीजेपी को रोकने में कामयाब रही हैं. हमें उनसे सहानुभूति है और उनसे हमारा भावनात्मक रिश्ता पहले से है.

सपा ने भी कांग्रेस की परफॉर्मेंस पर उठाए सवाल
सपा के महासचिव रामगोपाल यादव ने भी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की परफॉर्मेंस पर सवाल खड़े कर दिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अगर प्रदर्शन करती तो नरेंद्र मोदी पीएम नहीं बन पाते. कांग्रेस की सबसे मजबूत सहयोगी आरजेडी के सुर भी बदलते नजर आ रहे हैं. तेजस्वी यादव ने कहा कि अगर ममता बनर्जी इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करती हैं, तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन फैसले को सर्वसम्मति से लिए जाने की जरूरत है. भविष्य के नेतृत्व के मुद्दे और रोडमैप पर बात होगी तो उसे सभी बैठ कर तय करें.

एनसीपी (एसपी) ने किया ममता का समर्थन
इंडिया गठबंधन के अहम नेता शरद पवार भी ममता बनर्जी के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी में इंडिया गठबंधन की अगुवाई करने की क्षमता है. उन्होंने अभी तक काफी आक्रमण रवैया अपनाया है और कई लोगों को पहचान दी है. उन्हें यह कहने का अधिकार है. सुप्रिया सुले ने भी कहा कि ममता बनर्जी पूरी तरह से INDIA गठबंधन का अभिन्न अंग हैं. वह भारत की सबसे बड़ी नेताओं में से एक हैं और एक जीवंत लोकतंत्र में विपक्ष की बड़ी भूमिका और जिम्मेदारी होती है. इसलिए अगर वे अधिक जिम्मेदारी लेना चाहें तो हम उनके साथ हैं.

ममता ने अपना सियासी दांव चलना शुरू किया
ममता बनर्जी शुरू से ही गैर-कांग्रेस गठबंधन बनाने की पैरोकारी कर रही है. इस मिशन के तहत ममता बनर्जी ने तमाम विपक्षी नेताओं से मुलाकात भी की था, जिसमें अखिलेश यादव से लेकर शरद पवार, उद्धव ठाकरे, केजरीवाल, हेमंत सोरेन और लालू यादव शामिल थे. ऐसे में इंडिया गठबंधन की अवधारणा आने के बाद ममता अपने मिशन को अमलीजामा नहीं पहना सकी थी. हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे आने के बाद कांग्रेस के पक्ष में बना माहौल फीका पड़ा तो ममता बनर्जी ने छत्रपों के सहारे अपने सियासी दांव चलना शुरू कर दिया है.

ममता बनर्जी की अखिलेश यादव से खूब बनती है. अखिलेश जब भी कोलकाता जाते हैं, ममता से मिले बगैर नहीं लौटते. झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से ममता की पटरी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके शपथ ग्रहण समारोह में ममता पहुंच गई थीं. बिहार में आरजेडी भी कांग्रेस को एक तरह से सियासी बोझ ही मानती रही है. इसलिए ममता को तेजस्वी यादव का साथ मिल सकता है. केजरीवाल और उद्धव ठाकरे से भी ममता की अच्छी पटती है. इसी आधार पर ममता बनर्जी इंडिया ब्लॉक के नेतृत्व को लीड करने की कवायद में है, लेकिन कांग्रेस भी सहयोगी दलों के दबाव में झुकने को तैयार नहीं है.

ममता के दांव पर कांग्रेस ने क्या रणनीति बनाई
कांग्रेस ने रणनीति बनाई है कि विपक्षी नेताओं के खिलाफ किसी तरह की कोई बयानबाजी नहीं करनी है, बाकी दल भले ही उकसाते रहें. कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है तो नेतृत्व किसी और को कैसे सौंप सकती है. कांग्रेस यह समझ रही है कि विपक्षी दलों का आधार उनके प्रभाव वाले राज्य से बाहर किसी भी दूसरे प्रदेश में नहीं है. ऐसे में कांग्रेस ने खामोशी अख्तियार कर ममता बनर्जी के दांव को बेअसर करने की रणनीति बनाई है. कांग्रेस अपने स्टैंड पर कायम है और अडानी के मुद्दे पर चर्चा के लिए लोकसभा को चलने नहीं दे रही है.

हालांकि, इंडिया गठबंधन की राष्ट्रीय समन्वय समिति में शामिल सपा के एक नेता बताते हैं कि लोकसभा चुनाव के बाद इंडिया गठबंधन की कोई बैठक ही नहीं बुलाई गई है. हम तो अब तलाश रहे हैं कि इंडिया गठबंधन कहां है. वहीं, ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन का नेतृत्व दिए जाने के मुद्दे पर भी सपा जिस तरह स्टैंड ले रही है. ऐसे में साफ है कि इंडिया गठबंधन के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है और क्षेत्रीय दल कांग्रेस के अगुवाई से बाहर निकलने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.

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