यादव भाई लोग, सरकार में आना है तो सामंती नहीं समाजवादी बनिए… आरजेडी में अधिकार मिलने के बाद तेजस्वी यादव अपनी हर रैली में यादव समुदाय से विशेष अपील कर रहे हैं. शुक्रवार को मधुबनी की रैली में तेजस्वी ने खुलकर यादव समुदाय से 5 अपील की. तेजस्वी ने कहा कि अगर आप लोग इन बातों का ध्यान नहीं रखेंगे, तो सरकार में नहीं आ पाएंगे.
चुनावी साल में यादवों को लेकर तेजस्वी की ये 5 अपील चर्चा में है. सवाल उठ रहा है कि आखिर कौन सी नौबत आ गई, जिसके कारण तेजस्वी को यादव वोटरों के लिए अपनी हर कार्यक्रम में निर्देश जारी करना पड़ रहा है.
यादवों से कौन सी 5 अपील कर रहे तेजस्वी?
- सामंती नहीं समाजवादी बनें- मधुबनी की रैली में तेजस्वी यादव ने यादवों से अपील करते हुए कहा कि आप लोग सामंती नहीं, समाजवादी बनिए. कुछ यादव सामंती बनने का काम करते हैं, जिससे पूरे कौम का बदनामी होता है.
- सबको साथ लेकर चलिए- तेजस्वी ने यादव समुदाय से अपील करते हुए कहा कि हमने चौधरी चरण सिंह का साथ दिया. हमने कर्पूरी ठाकुर और जय प्रकाश नारायण का साध दिया. फिर अब हम सबको साथ लेकर क्यों नहीं चलते हैं?
- दलित-EBC पर विशेष ध्यान दें- यादवों से अपील करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि दलित और अतिपिछड़े समुदाय के लोगों का विशेष ध्यान दें. कुछ लोग गलत करते हैं, उन्हें साइड लाइन कर दें.
- मुसलमानों के खिलाफ सहिष्णु रहे- तेजस्वी ने यादवों से मुसलमानों को लेकर भी अपील की. कहा कि पहले जब सत्ता थी, तो हम लोग अकलियतों को लेकर चलते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं कर रहे हैं. सत्ता ऐसे में कभी नहीं आ पाएगी.
- सिर्फ लालू यादव आपके नेता- तेजस्वी ने कहा कि मैं देखता हूं लोग अन्य छोटे नेताओं के चक्कर में पड़कर इधर-उधर करते हैं. सिर्फ लालू यादव आपके नेता हैं. अन्य नेताओं के चक्कर में न पड़ें. लालू जी की बात ही आप लोग मानिए.
सवाल- तेजस्वी यादवों से अपील क्यों कर रहे?
राष्ट्रीय जनता दल को ए टू जेड पार्टी बताने वाले तेजस्वी यादव आखिर यादवों से यह अपील क्यों कर रहे हैं, वो भी चुनावी साल में. बिहार में इस साल के आखिर में विधानसभा की 243 सीटों पर चुनाव होने हैं.
- लोकसभा चुनाव में नवादा, मधुबनी, झंझारपुर, मधेपुरा, पूर्णिया, अररिया जैसी सीटों पर यादव नेता और मतदाताओं ने राष्ट्रीय जनता दल का खेल खराब कर दिया. नवादा में राजवल्लभ यादव के भाई आरजेडी से बागी होकर मैदान में उतर गए. इसी तरह झंझारपुर में गुलाब यादव ने निर्दलीय मोर्चा खोल दिया.
पूर्णिया में पप्पू यादव और मधेपुरा में दिनेश यादव के सामने आरजेडी के उम्मीदवार टिक नहीं पाए. अररिया में भी यादव वोटर्स बीजेपी की तरफ शिफ्ट हो गए, जिससे आरेजडी चुनाव हार गए.
उजियारपुर में भी यादव वोटरों ने बीजेपी के नित्यानंद राय का साथ पकड़ लिया. यहां आरजेडी के आलोक मेहता चुनाव हार गए. इन सभी जगहों पर विधानसभा की कुल 60 सीटें हैं.
- आरजेडी के बड़े नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी हाल ही में यादव और मुस्लिम समीकरण को लेकर बड़ी टिप्पणी की थी. सिद्दीकी ने कहा था कि मुस्लिम समुदाय के लोगों को जब कोई दूसरी जाति के लोग भला-बुरा कहते हैं, तब यादव समुदाय के लोग चुप रहते हैं. हम लोग ऐसा नहीं करते हैं.
2020 के विधानसभा चुनाव में सिद्दीकी यादव नेताओं की वजह से ही केवटी सीट से चुनाव हार गए. इस चुनाव में आरजेडी के ही यादव समुदाय से आने वाले नेताओं ने सिद्दीकी के खिलाफ भितरघात कर दिया. इस तरह की शिकायत लोकसभा चुनाव में भी कई जगहों से आई है.
- तेजस्वी यादव ए टू जेड समीकरण की बात जरूर कर रहे हैं, लेकिन अपने कोर माई (मुस्लिम और यादव) समीकरण को भी नहीं छोड़ना चाहते हैं. बिहार में मुसलमानों की आबादी 17 प्रतिशत तो यादवों की आबादी 14 प्रतिशत है. दोनों के मिलने से ही आरजेडी का जनाधार मजबूत हो पाएगा.
हालिया चुनाव में जिस तरीके से यादव मतदाता आरजेडी से छिटके हैं, वो तेजस्वी के लिए टेंशन बढ़ाने वाला है. वहीं मुस्लिम वोटरों पर भी कई पार्टियां दावा कर रही है. ऐसे में तेजस्वी यादव को सहिष्णु कर मुसलमानों को साधे रखना चाहते हैं.
12 सीट की वजह से चूक गए थे तेजस्वी यादव
2020 में तेजस्वी यादव गठबंधन को 110 सीटों पर जीत मिली थी. एनडीए ने 126 सीटों पर जीत दर्ज की थी. 7 सीटों पर अन्य पार्टियों को जीत मिली थी. बिहार में सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों की जरूरत होती है.
केवटी, गौराबौड़म, बिस्फी जैसी कई सीटों पर यादव और मुस्लिम गठजोड़ न होने की वजह से आरजेडी हार गई. वहीं सीमांचल में मुसलमानों ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को समर्थन दे दिया.
एआईएमआईएम को इस चुनाव में 5 सीटों पर जीत मिली थी. हालांकि, बाद में राष्ट्रीय जनता दल ओवैसी के 4 विधायकों को तोड़कर अपने पाले में कर लिया.