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Water Crisis : उत्तर प्रदेश के हाथरस से एक अनोखी खबर सामने आ रही हैं…अपने सुना होगा कि जल ही तो जीवन हैं…उसी की मिशाल बन बैठा हैं हाथरस.. हाथरस के लोग पानी तो पीते हैं..लोकिन भविष्य के लिए एक चिंता स्त्रोत बन रहा हैं…हाथरस के इस रिपोर्ट ने हर किसी को मुश्किल में डाल दिया हैं…शासन से जारी गतिशील भूजल की रिपोर्ट भी इस खतरनाक स्थिति की ओर इशारा कर रही है। हर साल हाथरस में 70841.08 हैम भूजल का रिचार्ज होता है, इसमें से 65260.5 है भूजल निकासी योग्य होता है। 61232.5 हैभूजल निकाल लिया जाता है।
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हाथरस जिले में धरती की कोख से पानी तो निकाला जा रहा है, लेकिन उसे भरा नहीं जा रहा है। वर्षा और अन्य स्रोतों से जितना भूजल रिचार्ज होता है। उसका 93 प्रतिशत हर साल निकाल लिया जाता है। यानी भविष्य के लिए चिंताजनक स्थिति की ओर हाथरस जा रहा है। हाथरस वालों ने भूजल नहीं बचाया तो गंभीर पेयजल संकट खड़ा हो सकता है।
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उत्तर प्रदेश शासन से जारी गतिशील भूजल की रिपोर्ट भी इस खतरनाक स्थिति की ओर इशारा कर रही है। हर साल हाथरस में 70841.08 हैम भूजल का रिचार्ज होता है, इसमें से 65260.5 हैम भूजल निकासी योग्य होता है। 61232.5 हैम भूजल निकाल लिया जाता है। सबसे ज्यादा निकासी सिंचाई और घरेलू उपयोग के लिए हो रही है। यह रिपोर्ट साल 2023 के आंकड़ों पर आधारित है, लेकिन इसके बाद स्थिति बिगड़ी ही है, सुधरी नहीं है। जिले के तीन ब्लॉक अत्याधिक जल दोहन के कारण डार्क जोन में आ गए हैं। सिर्फ हसायन ब्लॉक में 70 फीसदी से कम पानी की धरती से निकासी हो रही है। सासनी, सहपऊ व मुरसान में 100 फीसदी तक दोहन हो रहा है। अभी हमारा कार्यालय लखनऊ से अलीगढ़ के लिए स्थापित हो रहा है। हाथरस में भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए वॉटर हार्वेस्टिंग के प्रयास किए जाएंगे। सुधार के लिए जो भी बेहतर होगा, वह कदम उठाया जाएगा। बाकी पूरी स्थिति कुछ दिन बाद स्पष्ट कर पाऊंगा।-श्यामवीर सिंह, नोडल, भूजल विभाग, अलीगढ़।
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वाटर हार्वेस्टिंग व्यवस्था के लिए नहीं मिला बजट..
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एक ओर जिले में भूजल का दोहन खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। दूसरी ओर वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की कोई व्यवस्था नहीं है। 3100 सरकारी भवनों में वॉटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की जानी है, लेकिन इस दिशा में कोई पहल नहीं हो पाई है। इनमें करीब 300 सरकारी विभागों के कार्यालय हैं। इनमें भी बजट नहीं मिलने से व्यवस्था नहीं हो पाई है।
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ब्लॉक श्रेणी दोहन का प्रतिशत…
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सासनी (अतिदोहित) 110, सहपऊ 125, मुरसान (अतिदोहित) 115, हाथरस क्रिटिकल (95), सादाबाद (सेमी क्रिटिकल) 90, सिकन्दराराऊ 82 प्रतिशत है। हसायन ब्लॉक ही सुरक्षित श्रेणी में है, यहां दोहन 65प्रतिशत है।अभी तक भूजल विभाग आगरा अलीगढ़ मंडल की मॉनीटरिंग कर रहा था, लेकिन अब अलीगढ़ मंडल में कार्यालय की स्थापना की जा रही है। जहां से अलीगढ़ व हाथरस के भूजल की स्थिति को देखा जाएगा।
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खतरनाक स्थिति..
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70841.08 हैम भूजल का रिचार्ज होता है हर साल हाथरस में बारिश और अन्य स्रोतों से
65260.5 हैम भूजल उपलब्ध होता है हर साल धरती के गर्भ से निकालने योग्य
61232.5 हैम भूजल हर साल निकाल लेते हैं हाथरस वाले, यानी 93 प्रतिशत तक दोहन