ऋषिकेश। राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर पंडित ललित मोहन शर्मा श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय परिसर ऋषिकेश में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई एवं नमामि गंगे प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में स्वच्छता अभियान चलाया गया।
इस अभियान में स्वयंसेवी द्वारा विज्ञान संकाय, प्रशासनिक भवन, मुख्य भवन गेट के आसपास, खेल प्रांगण, वाणिज्य संकाय एवं कला संकाय के प्रांगण में श्रमदान, प्रांगण की सफाई, झाड़ियों की कटाई, पॉलिथीन, प्लास्टिक की बोतल, गिलास, कूड़ा करकट एकत्र किया गया I साथ ही लाइब्रेरी, कंप्यूटर कक्ष की सफाई की गई ।
इस अवसर पर परिसर के निदेशक प्रो. महावीर सिंह रावत द्वारा राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर चलाए जा रहे स्वच्छता कार्यक्रम में स्वयंसेवियों को संबोधित करते हुए कहा हम सभी उत्तराखण्ड के स्थापना दिवस की 24वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। राज्य को प्राप्त करने के लिए यहाँ के निवासियों को वर्षों तक आंदोलन करना पड़ा । अनेको लोगों ने सपनो के इस राज्य को पाने के लिए अपने प्राणों की शहादत दी। तब जाकर मिला उत्तराखंड वासियों को उनका सपनो का राज्य। राज्य आज अपनी स्थापना के 25वें साल यानी रजत जयंती वर्ष में प्रवेश कर इस यात्रा में हमारे राज्य ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे, अनगिनत सपनों को साकार होते देखा और आज हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि हमारा उत्तराखण्ड विकास की ओर अग्रसर है।
वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डॉ. अशोक कुमार मैन्दोला ने स्वयंसेवियों को संबोधित करते हुए कहा कि हम उत्तराखण्ड के इस 25वें वर्ष को विकास की एक नई उड़ान का वर्ष मानकर एक सकारात्मक और समृद्ध भविष्य की ओर बढ़ेंगे। हमें अपने राज्य के हर नागरिक को विकास की इस यात्रा में सहभागी बनाना है, ताकि उत्तराखण्ड को ”सर्वश्रेष्ठ राज्य” बनाने का लक्ष्य पूरा हो सके। इसे ”स्वर्णिम उत्तराखण्ड” बनाने का संकल्प लें। अपने जीवन में स्वच्छता को अपनाएं इस दिशा में युवा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। आज पर्यावरण में प्रदूषण का मुख्य तथा प्लास्टिक है। जनता को जागरूक करने के लिए हमें शुरुआत पहले अपने घर से करनी चाहिए।
कार्यक्रम अधिकारी डॉ. पारुल मिश्रा ने कहा कि उत्तराखण्ड के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। हमारे राज्य के समग्र विकास के लिए महिलाओं का सशक्तीकरण आवश्यक है। महिलाओं की भागीदारी को मुख्यधारा से जोड़कर ही हम महिलाओं के साथ-साथ सर्व समाज की उन्नति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।प्रो. संगीता मिश्रा ने कहा कि हिमालय का यह अंश विश्व की अमूल्य धरोहर है और इसे संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है। हमें जलवायु परिवर्तन के खतरे को देखते हुए हमें पर्यावरण सम्बंधित मुद्दों पर ध्यान देना होगा। वनों की रक्षा, जल-संरक्षण योजनाओं का क्रियान्वयन और पर्यटन को पर्यावरणीय संतुलन के साथ जोड़ना अति आवश्यक है।
इस अवसर पर डीएसडब्ल्यू प्रो. पी. के. सिंह राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवी उपस्थित रहे